वाशिंगटन ।। पाकिस्तान में बड़ी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के आरोपी चार संदिग्ध आतंकवादियों में से तीन के बरी हो जाने के बाद अमेरिका ने 2008 के मुम्बई हमले के साजिशकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने को लेकर संदेह जताया है।

पिछले सप्ताह आतंकवाद पर प्रकाशित ‘2010 कंट्री रिपोट्स’ में अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से कहा गया है, “अमेरिका पर हुए हमले सहित कई आतंकवादी हमलों के अभियुक्तों को पाकिस्तानी न्याय व्यवस्था लगातार बरी करती जा रही है।”

रिपोर्ट में कहा गया है, “संघीय जांच ब्यूरो ने सम्बंधित मुकदमों में सहायता प्रदान की है।” मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमले में मारे गए 166 लोगों में छह अमेरिकी भी थे और एफबीआई ने इस आतंकवादी घटना की जांच में भारत की मदद की थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक ओर जहां पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वालों को सजा देने की बात कहता है तो दूसरी ओर आंतवाद विरोधी अदालत के पिछले साल के फैसले में स्पष्ट होता है कि वहां करीब 75 प्रतिशत अभियुक्तों को बरी कर दिया जाता है। वहां की न्याय प्रणाली संदिग्ध आतंकवादियों पर मुकदमा चलाने में लगभग अक्षम रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में एक नया आतंकवाद-विरोधी विधेयक लाया गया था। इस विधेयक के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियां संदिग्धों को अदालत के सामने पेश करने से पहले 90 दिन तक हिरासत में रह सकती हैं। साथ ही इसमें संदिग्धों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की भी बात कही गई थी लेकिन वहां की नेशनल एसेंबली में यह विधेयक पारित नहीं हो सका।

वैसे पाकिस्तान में अवैध धन को वैध बनाने और अनौपचारिक हवाला धन का हस्तांतरण करने वाले एजेंटों पर दबाव बना है लेकिन अब भी इसमें सही कार्रवाई नहीं हो रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने वाले एक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को कमजोर ढंग से लागू करना भी चिंता का विषय है।

रिपोर्ट में अपने नाम बदलकर प्रतिबंध से बचने वाले इस्लामी आतंकवादी गुटों को गैरकानूनी घोषित करने में पाकिस्तान की असफलता की भी आलोचना की गई है।

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