काठमांडू ।। नेपाल में रविवार शाम को आया रिक्टर पैमाने पर 6.8 की तीव्रता वाला भूकम्प बीते आठ दशकों में इस देश में आया सबसे बड़ा भूकम्प था और इससे काफी तबाही हुई है। नेपाल में भूकम्प में नौ लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा घायल हो गए। हजारों मकान व अन्य इमारतें ढह गई हैं।
राजधानी काठमांडू में भारी तबाही हुई है। दीवारें ढहने से उनके नीचे आए तीन लोगों की मौत हो गई है जबकि भूकम्प आने से घबराकर घरों की खिड़कियां और बालकनी से बाहर कूदने की कोशिश में 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
पुलिस ने सोमवार को बताया कि रविवार शाम आए भूकम्प के तुरंत बाद राजधानी के लेनचौर इलाके में भारतीय दूतावास के नजदीक ब्रिटिश दूतावास परिसर की नौ फुट ऊंची दीवार ढह गई। एक दुपहिया वाहन, एक कार और राहगीर इसकी चपेट में आ गए।
डेनमार्क सरकार की विज्ञापन एजेंसी डैनिडा में कार्यरत 38 वर्षीय सुरक्षाकर्मी सजन श्रेष्ठ अपनी किशोर बेटी अनिशा के साथ जा रहा था। दोनों दीवार की चपेट में आने से घायल हो गए।
राहगीर बीर बहादुर माझी भी बुरी तरह घायल हुआ। तीनों घायलों को मनमोहन मेमोरियल अस्पताल में दाखिल कराया गया, जहां तीनों की मौत हो गई।
पूर्वी सुनसारी जिले के धारन कस्बे में भारतीय व ब्रिटिश सेना के भर्ती केंद्र में नेपाल सेना से सम्बद्ध संतोष पेरियार और उसके सात वर्षीय भतीजे बिमल पेरियार की मौत हो गई। पेरियार के कमरे की छत ढहने से दोनों की मौत हो गई।
काठमांडू घाटी के भक्तापुर जिले में ईश्वर ग्यावाली की मौत हो गई। धानकुटा जिले में 40 वर्षीया मधु कार्की व मेची शहर में आठ वर्षीया आयशा घिमिरे की मौत हो गई। संकुवासाभा जिले में प्रदीप राय की मौत हो गई।
राष्ट्रीय भूकम्प केंद्र का कहना है कि यह नेपाल में 1934 के बाद आया सबसे बड़ा भूकम्प था। साल 1934 में 8.4 तीव्रता का भूकम्प आया था, जिसमें 8,500 से ज्यादा लोग मारे गए थे।