पर्थ ।। आस्ट्रेलिया के पर्थ शहर में शुक्रवार को राष्ट्रमंडल देशों के शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में सदियों पुराने उस नियम को बदलने की घोषणा की गई, जिसके तहत ब्रिटेन के राज सिंहासन पर राजा या रानी की बड़ी पुत्री की जगह छोटे पुत्र को अधिकार दिया जाता है।

यह घोषणा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने की। इसके साथ ही ब्रिटेन के राजा या रानी के रोमन कैथोलिक धर्मावलम्बी के साथ विवाह न करने के प्रतिबंध को भी हटाने की घोषणा की गई।

घोषणा करते हुए कैमरन ने कहा कि यह पुरानी प्रथा आधुनिक विचारों के साथ मेल नहीं खाती है।

नए कानून के लागू होने के बाद 300 साल पुराना वह नियम बदल जाएगा, जिसके मुताबिक राजा या रानी का बड़ा पुत्र ही सिंहासन का वारिश हो सकता था। पुत्री तभी सिंहासन की वारिस हो सकती है, जब राजा या रानी को कोई पुत्र नहीं हो। जैसा कि वर्तमान महारानी के पिता जॉर्ज छठवें के मामले में था।

इससे पहले ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने चोगम का आगाज करते हुए सदस्य देशों से खाद्य सुरक्षा, वित्त, जलवायु परिवर्तन और व्यापार क्षेत्र की नई वैश्विक चुनौतियों से निपटने का आग्रह किया।

54 सदस्यीय संगठन की प्रमुख महारानी एलिजाबेथ ने कहा कि आने वाले कल के लिए पूरी तरह तरोताजा और तैयार रहें। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस बैठक के परिणामों का वैश्विक स्तर पर प्रभाव पड़ेगा और वह ‘सकारात्मक एवं स्थायी’ होगा।

चोगम 2011 के अवसर पर यहां पहुंची एलिजाबेथ की तस्वीर अपने कैमरे में कैद करने के लिए सड़कों पर लोगों की लम्बी कतारें लगी थीं। पर्थ में शुक्रवार को हालांकि छुट्टी का दिन था फिर भी बड़ी संख्या में भीड़ देखी गई।

आस्ट्रेलिया की प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड ने भी बैठक को सम्बोधित किया। इसके अलावा राष्ट्रमंडल महासचिव कमलेश शर्मा और त्रिनिडाड व टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिस्सेसार ने भी बैठक को सम्बोधित किया।

इस मौके पर गिलार्ड ने सदस्य देशों के नेताओं से बदलाव का वाहक बनने का आह्वान करते हुए कहा कि नई वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सदस्य देशों को एक साथ आवाज उठानें, समान लक्ष्य तय करने और एकजुट होने की जरूरत है।

महात्मा गांधी से लेकर डेसमंड टूटू जैसे राष्ट्रमंडल देशों के कुछ नायकों का उल्लेख करते हुए उन्होंने सदस्य देशों के नेताओं से आग्रह किया कि वे भी परिवर्तन के वाहक बने।

21वीं शताब्दी में चोगम की महत्ता का उल्लेख करते हुए राष्ट्रमंडल देशों के महासचिव कमलेश शर्मा ने महारानी की बात को दोहराते हुए कहा कि सही मायने में चोगम ही एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क है।

चोगम 2011 का आधिकारिक विषय है ‘राष्ट्रीय अनुकूलनशीलता का निर्माण, वैश्विक अनुकुलनशीलता का निर्माण’। बैठक के दौरान राष्ट्रमंडल देशों के नेता वैश्विक अर्थिक स्थितियों तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बुनियादी राजनीतिक मूल्यों की सुरक्षा और प्रसार के मुद्दे पर भी विचार विमर्श करेंगे।

चोगम 2011 में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी कर रहे हैं। वह आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री जूलिया गिलार्ड से द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बात करेंगे।

इस द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारत यूरेनियम तक पहुंच के लिए दबाव बना सकता है।

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