वाशिंगटन ।। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) द्वारा पाकिस्तानी सीमा चौकी पर किए गए हमले के आठ दिनों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को फोन किया और हमले में मारे गए 24 पाकिस्तानी सैनिकों के लिए शोक संवेदना जाहिर की। लेकिन ओबामा ने इस हमले के लिए माफी नहीं मांगी। 

व्हाइट हाउस द्वारा रविवार को जारी एक बयान में कहा गया, “राष्ट्रपति ने स्पष्ट किया कि यह खेदजनक घटना पाकिस्तान पर जानबूझकर किया गया हमला नहीं था और उन्होंने इस घटना की पूर्ण जांच की मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई।”

बयान में कहा गया है, “दोनों राष्ट्रपतियों ने अमेरिका-पाक द्विपक्षीय रिश्ते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जो दोनों देशों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों नेताओं ने बराबर सम्पर्क बनाए रखने पर सहमति जताई।”

ओबामा और जरदारी के बीच बातचीत, 26 नवम्बर के नाटो के हमले में हुई पाक सैनिकों की मौत के बाद दोनों देशों के बीच बिगड़े सम्बंधों को सामान्य बनाने की सबसे ताजा कोशिश थी।

इसके पहले विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और रक्षा मंत्री लियॉन पैनेटा ने इस घटना को एक त्रासदी करार दिया था और इसके लिए शोक संवेदना जाहिर की थी। लेकिन अमेरिका की तरफ से अभी तक इस घटना पर पाकिस्तान से कोई औपचारिक माफी नहीं मांगी गई है। 

इस बीच सीनेट में रिपब्लिकन सदस्य, जॉन मैक्के न ने अपने आरोप को दोहराते हुए कहा है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसिस इंटेलिजेंस (आईएसआई) अफगानिस्तान में आतंकवादी संगठनों की मदद कर रही है, और वे आतंकवादी संगठन अमेरिकियों की हत्याएं कर रहे हैं। मैक्के न ने इस स्थिति को अस्वीकार्य बताया।

मैक्के न ने कहा, “वहां दो उर्वरक के कारखाने हैं, जिनकी सामग्रियों का इस्तेमाल विस्फोटक तैयार करने में हो रहा है और उन विस्फोटकों से अमेरिकियों की हत्याएं की जा रही हैं।” मैक्के न ने सुझाव दिया कि पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता, उससे मिलने वाले सहयोग के आधार पर नापी-तौली जानी चाहिए।

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