इस्लामाबाद ।। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने अमेरिका भेजे गए कथित संदेश का हवाला देते हुए कहा है कि देश में फौज द्वारा तख्तापलट किए जाने का कोई खतरा नहीं है। उस संदेश में दावा किया गया था कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को देश में फौजी बगावत का खतरा था।

एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान के अनुसार गिलानी ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान में किसी तरह की न्यायिक या फौजी बगावत के आसार नहीं हैं क्योंकि दोनों संस्थाएं लोकतांत्रिक हैं और वे व्यवस्था को बाधित नहीं करना चाहतीं।

गिलानी पाकिस्तान के सरकारी टीवी चैनल पीटीवी पर ‘प्राइम मिनिस्टर ऑनलाइन’ कार्यक्रम के दौरान देश भर के दर्शकों के प्रश्नों के जवाब दे रहे थे।

पाकिस्तानी मूल के एक अमेरिकी कारोबारी मंसूर एजाज ने आरोप लगाया था कि एक वरिष्ठ राजनयिक ने जरदारी का संदेश अमेरिका के तत्कालीन चीफ्स ऑफ स्टॉफ एडमिरल माइक मुलेन तक पहुंचाने में उनकी मदद मांगी थी।

इसी कथित संदेश पर उपजे विवाद की वजह से अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक्कानी को इस्तीफा देना पड़ा। उनकी जगह पूर्व मंत्री शेरी रहमान को नियुक्त किया गया है।

एक अन्य प्रश्न के जवाब में गिलानी ने कहा कि सीमा चौकी पर नाटो के हमले के बाद पाकिस्तान द्वारा किया गया बॉन सम्मेलन के बहिष्कार का फैसला बदला नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला सामूहिक रूप से लिया गया है।

गिलानी ने कहा, “अगर हमने बॉन सम्मेलन में हिस्सा लिया और कोई अन्य हमला हो गया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।”

नाटो हेलीकॉप्टरों ने गत 26 नवम्बर को मोहमंद एजेंसी क्षेत्र की दो चौकियों पर बमबारी की थी जिसमें 24 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे।

उन्होंने विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार को बॉन भेजने से इंकार किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान नए समझौते के तहत अमेरिका, नाटो और आईएसएएफ के साथ काम कर सकता है। उन्होंने कहा, “हमें सम्पर्क के नए नियम बनाने होंगे और हम नए समझौते के तहत काम कर सकते हैं।”

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