स्ट्रासबर्ग ।। यूरोपीय संसद ने पाकिस्तान व अफगानिस्तान से महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर तुरंत ध्यान देने को कहा है। साथ ही दोनों देशों को महिलाओं के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए बेहतर कानून सुनिश्चित करने की सलाह दी है।

शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा गया कि यूरोपीय संसद पाकिस्तान व अफगानिस्तान में महिलाओं व लड़कियों की स्थिति को लेकर बहुत चिंतित है।

वक्तव्य में कहा गया है कि मानवाधिकार सम्बंधी सभी वार्ताओं में महिलाओं के अधिकारों और खासकर उनके खिलाफ होने वाली अलग-अलग तरह की हिंसा से निपटने का मुद्दा उठता रहा है।

इसमें सभी प्रकार की नुकसान पहुंचाने वाली परम्पराएं व प्रथाएं, कम उम्र में विवाह, दबाव बनाकर विवाह करना, घरेलू हिंसा व भ्रूण हत्या जैसे मुद्दे शामिल हैं।

यूरोपीय संसद के सदस्यों ने राष्ट्र निर्माण में अहम योगदान देने वाली अफगानी महिलाओं खासकर अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता व महिला मामलों की पूर्व अफगान मंत्री मसूदा जलाल के काम को याद किया।

वक्तव्य में अफगानिस्तान में महिलाओं की शीर्ष राजनीतिक पदों पर नियुक्ति व प्रशासन में उन्हें ऊंचे पद दिए जाने से सम्बंधित सकारात्मक बदलाव की प्रशंसा की गई है।

वैसे संसद ने इस बात पर गहरी चिंता भी जताई कि इस प्रगति के बावजूद अफगानी महिलाएं व लड़कियां लगातार घरेलू हिंसा, तस्करी, जबरदस्ती विवाह जैसी समस्याओं का शिकार बन रही हैं और विवादों के निपटान में उनका कारोबार किया जा रहा है।

पाकिस्तान के संदर्भ में बात करते हुए यूरोपीय संसद के सदस्यों ने आसिया बीबी, मुख्तार माई व अज्मा अयूब के खिलाफ अदालती मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “इससे भविष्य में पाकिस्तान के न्याय तंत्र से विश्वास उठ सकता है और महिलाओं के अधिकारों के हनन को बढ़ावा मिल सकता है।”

एक पाकिस्तानी अदालत ने ईसाई महिला आसिया बीबी को ईश-निंदा का दोषी मानकर उसे मौत की सजा सुनाई थी। मुख्तार माई पाकिस्तान में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार महिला है। उन्हें दुनियाभर में महिला अधिकारों को बढ़ावा देने वाली महिला के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली थी। अज्मा अयूब पाकिस्तान की एक और दुष्कर्म पीड़ित महिला है, जो छह महीने के गर्भ के दौरान अपने अपहरणकर्ताओं के चंगुल से भाग निकली थी। अज्मा ने न्याय हासिल करने की कसम खाई थी।

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