इस्लामाबाद ।। पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने स्वीकार किया है कि गुप्त संदेश के विवाद ने देश की नागरिक सरकार की क्षमता और सेना की भूमिका को लेकर गम्भीर सवाल खड़े किए हैं। 

आरोप है कि अमेरिका में पाकिस्तान के तत्कालीन राजदूत, हुसैन हक्कानी ने अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के मई में मारे जाने के बाद सम्भावित सैन्य तख्ता पलट को रोकने के लिए राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की ओर से एक संदेश के जरिए अमेरिका से मदद मांगी थी। 

हक्कानी ने हालांकि इस बात से इंकार किया है कि संदेश उन्होंने लिखा था। यह संदेश उसी महीने अमेरिकी जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के तत्कालीन अध्यक्ष एडमिरल माइक मुलेन के पास कथित रूप से पहुंचाया गया था। 

बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में खार ने स्वीकार किया है कि इस विवाद से यह संदेश गया है कि पाकिस्तान में सेना सत्ता की ईंट खिसका रही थी।

खार ने कहा, “उच्च स्तर पर जांच होगी, जो सभी पक्षों को, सभी लोगों को, सभी क्षेत्रों को संतुष्ट करेगी, जिन्होंने इस पूरे मुद्दे को लेकर चिंता जाहिर की है।”

खार ने कहा, “और हम आशा करते हैं कि.. यह वहीं पर है, जहां इसे होना चाहिए और वहीं रुक भी जाएगा।”

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