नई दिल्ली ।। पाकिस्तान की युवा लेखिका फातिमा भुट्टो की कविताओं में प्रेम के साथ-साथ खोने का एहसास और अकेलापन साफ दिखाई देता है। उनका स्वयं कहना है कि यह डर ही था, जिसने उन्हें कविताएं लिखने के लिए प्रेरित किया।
पाकिस्तान की दिवगंत प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की भतीजी फातिमा [29] एक और दो अक्टूबर को कोवलम साहित्य समारोह के दौरान भारत आने वाली हैं। इससे पहले कराची से उन्होंने ईमेल के जरिये आईएएनएस से साक्षात्कार में अपने दिल की कुछ बातें कहीं।
उन्होंने कहा, “मैंने पिछले काफी समय से कविता नहीं लिखी, लेकिन गद्य की तरह ही कविताएं भी वह कहने का माध्यम है, जो जबानी तौर पर कहना मुश्किल होता है।”
फातिमा ने कहा, “कोवलम दक्षिण भारत में मेरी पहली यात्रा होगी। मैं इस देश को और देखना चाहती हूं तथा नए लोगों के साथ संवाद करना चाहती हूं। साथ ही हमारे शहरों तथा कहानियों के बीच सम्बंध बनाना चाहती हूं।”
फातिमा भुट्टो ने पद्य संग्रह ‘व्हिस्पर्स ऑफ द डेजर्ट’ के साथ-साथ कश्मीर में 2005 में आए भूकम्प पर ‘08.50 एएम’ और ‘सांग्स ऑफ ब्लड एंड स्वोर्ड’ भी लिखी है, जिसमें उनके परिवार की त्रासदियों का जिक्र है।
फातिमा मुर्तजा भुट्टो की बेटी और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो की पोती हैं। उनका जन्म 1982 में कराची में हुआ था। बचपन और किशोरावस्था में उन्होंने अपने परिवार में जो त्रासदी देखी उसका असर उनकी लेखनी पर साफ दिखता है।
दादा जुल्फिकार को 1979 में फांसी दे दी गई थी, जबकि पिता मुर्तजा को 1996 में बुआ बेनजीर के कार्यकाल में पुलिस ने कराची में गोली मार दी थी। 11 साल बाद 2007 में बेनजीर के साथ भी तकरीबन यही हुआ और रावलपिंडी में एक रैली में हुए आत्मघाती हमले में उनकी जान चली गई।
फातिमा के अनुसार, यह डर ही था जिसने उन्हें कविता लिखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “मैंने कराची के अब तक के इतिहास में बहुत हिंसक वक्त से लिखना शुरू किया।” उनका कहना है कि गद्य के प्रसार के बावजूद कविता इस महाद्वीप के युवाओं को छू रही है। वह फिलहाल कराची पर किताब लिख रही हैं।