संयुक्त राष्ट्र ।। फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास की ओर से संयुक्त राष्ट्र में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपने देश की सदस्यता की दावेदारी किए जाने का अमेरिका द्वारा विरोध करने के बावजूद भारत ने अपना समर्थन दोहराया है।

 भारतीय विदेश सचिव रंजन मथाई ने शुक्रवार को इस बात के संकेत दिए कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने सम्बोधन के दौरान फिलीस्तीन की इस मांग का समर्थन कर सकते हैं।

मथाई ने प्रधानमंत्री के भाषण की प्रति पूर्वावलोकन करने से इंकार करने के बावजूद उन्होंने कहा, “फिलीस्तीन के बारे में हमारा रुख स्पष्ट है। यह सर्वविदित है कि हमने 1988 में ही फिलीस्तीन को अलग राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी थी। यदि हम उसकी दावेदारी का समर्थन करते हैं तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए।”

उन्होंने बताया कि अब्बास की इस ऐतिहासिक दावेदारी के कुछ घंटे बाद हुई सिंह व ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद की मुलाकात में दोनों ने संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीन की सदस्यता के लिए उसकी ओर से किए जा रहे प्रयासों का समर्थन करने की बात कही।

संयुक्त राष्ट्र सदस्यता के लिए अब्बास की ओर से शुक्रवार को दिए गए औपचारिक आवेदन की महासभा में बहुत सराहना हुई। अब्बास ने शुक्रवार को महासभा के 66वें वार्षिक सत्र में अपने भाषण के दौरान फिलीस्तीन की सदस्यता की दावेदारी के दस्तावेज पेश किए।

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि मध्य पूर्व में बदलाव लाने के अरब देशों के प्रयासों में फिलीस्तीन भी शामिल हो जाए। उन्होंने कहा, “मेरे देश के लोगों की बाकी मानवता की तरह सामान्य जीवन का आनंद लेने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने की इच्छा है।”

संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीनी दावेदारी को मोटे तौर पर प्रतीकात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि इस पर सुरक्षा परिषद में वोटिंग के दौरान अमेरिका का वीटो करना निश्चित है।

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