झुकोवस्की ।। रूस और भारत ने मिलकर एक ऐसा लड़ाकू विमान बनाया है, जो रडार की पकड़ में आ ही नहीं सकता। इस स्टेल्थ लड़ाकू विमान को पहली बार दुनिया के सामने पेश किया गया है। इसके साथ ही इस गुप्त परियोजना पर से पर्दा हट गया है कि अमेरिकी एफ-22 और एफ-35 लड़ाकू विमानों पर आई लागत के महज कुछ भाग से इस विमान को तैयार किया गया है।

 

रूस और भारत ने मिलकर इस परियोजना को विकसित किया है और इस पर अब भी साथ काम कर रहे हैं। सुखोई टी-50 नामक पांचवीं पीढ़ी के इस लड़ाकू विमान ने मैक्स 2011 एयर-शो में पहली बार किसी तरह का उड़ान भरी। बुधवार को मॉस्को के अंतर्राष्ट्रीय विमान प्रदर्शनी के दौरान इसने आकाश में उड़ान भरी।

उधर, वायुसेना प्रमुख ने घोषणा की है कि “नए लड़ाकू विमान को 2014-15 में वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा।” इस एयर-शो में प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन भी मौजूद थे। इस विमान को बनाने वाली कंपनी युनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन के अध्यक्ष मिखाइल पोगोस्यान ने कहा कि “नया स्टेल्थ लड़ाकू विमान न केवल रूसी वायुसेना, बल्कि भारतीय वायुसेना को भी बल प्रदान करेगा।” इससे दोनों देशों के संबंधों को भी मजबूती मिलेगी, क्योंकि दोनों देश आगे भी इस तरह की परियोजनाओं पर साथ मिलकर काम करने के इच्छुक हैं।

उन्होंने कहा कि “इस महत्वपूर्ण परियोजना पर भारत के साथ रूस के सहयोग से विदेशी बाजार में इस स्टेल्थ लड़ाकू विमान को बढ़ावा मिलेगा।” मिखाइल ने कहा कि फिलहाल अभी हमने इसका प्रदर्शन किया है। इसे वायुसेना में शामिल करने के लिए दोनों देशों को अभी थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। इसे भारत और रूस साथ मिलकर विकसित कर रहे हैं। इसके लिए 2007 में रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी की मॉस्को यात्रा के दौरान समझौता हुआ था।

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