पर्थ ।। लैंगिक समानता और महिला अधिकारों की वकालत करते हुए राष्ट्रमंडल सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम ) में जबरन और कम उम्र में होने वाली शादियों पर रोक लगाने का शनिवार को आह्वान किया गया।

जिन 20 देशों में बाल विवाह का प्रचलन अभी भी उच्चस्तर पर बना हुआ है, उनमें से 12 देश राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं। भारत भी ऐसे देशों में शामिल है।

एक बयान में कहा गया है कि लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाए बगैर राष्ट्रमंडल के लोकतांत्रिक या विकास सम्बंधी लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकता। लड़कियां और महिलाएं राष्ट्रमंडल देशों की कुल आबादी के आधे से अधिक हिस्से का प्रतिनिधित्व करती हैं।

बयान में कहा गया है कि कम उम्र में और जबरन विवाह लड़कियों की शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, महिला आर्थिक सशक्तीकरण, और बुनियादी, मौलिक मानवाधिकारों को स्वीकार करने के रास्ते में आने वाली अति महत्वपूर्ण बाधाओं में से एक है।

राष्ट्रमंडल की प्रमुख महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा था, “इस वर्ष राष्ट्रमंडल का विषय ‘महिलाएं बदलाव की वाहक’ है। यह हमें हमारे समाज में उपस्थित सम्भावनाओं को याद दिलाता है, जिनका पूरी तरह दोहन किया जाना अभी बाकी है। और यह हमें ऐसे उपायों को तलाशने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो सभी लड़कियों और महिलाओं को पूरी भूमिका निभाने का अवसर मुहैया कराए।”

महारानी एलिजाबेथ के अलावा जिन नेताओं ने इस आह्वान का समर्थन किया है, उनमें आस्ट्रेलिया की गवर्नर जनरल क्वे ंटिन ब्राइस और आस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री मेल्कम फ्रेजर शामिल हैं।

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