न्यूयॉर्क ।। सीरिया में सत्तापक्ष द्वारा की गयी कार्रवाई में 3,000 लोगों के मारे जाने का खुलासा होने के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सीरिया के खिलाफ कार्रवाई के समर्थक और विरोधियों के बीच घमासान छिड़ गया है।

जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और पुर्तगाल के दूतों ने राष्ट्रपति बशर अल असद के विरोधियों पर कार्रवाई करने के खिलाफ सवाल खड़े किए।

पिछले हफ्ते सीरिया के खिलाफ कार्रवाई के लिए सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाया गया था जिसका विरोध करते हुए रूस और चीन ने वीटो कर दिया था।

राजनयिकों ने बताया कि बंद कमरे में हुई इस बैठक में फ्रांस के राजदूत गेरार्ड अराउद ने कहा कि सीरिया के खिलाफ कार्रवाई का विरोध करने वाले देशों को हाल के घटनाक्रम के बाद स्थिति की समीक्षा करनी चाहिए।

अराउद ने ये सब चीन और रूस के साथ-साथ उन देशों के लिए भी कहा जो सुरक्षा परिषद में मतदान के समय अनुपस्थित रहे थे. इन देशों में भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे देश शामिल हैं।

राजनयिकों ने बताया कि जर्मनी, ब्रिटेन और पुर्तगाल ने मांग की कि सुरक्षा परिषद सीरिया पर कार्रवाई करे।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की प्रमुख नवी पिल्लै ने जिनिवा में कहा कि पिछले सात महीने में सीरिया में 3,000 से ज्यादा विद्रोही मारे गये. इसके बाद इन देशों ने सुरक्षा परिषद में यह मांग की।

पिल्लै ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कार्रवाई करनी चाहिए नहीं तो सीरिया में गृहयुद्ध फैल सकता है। वहीं रूस और चीन सुरक्षा परिषद द्वारा सीरिया पर प्रतिबंध न लगाने की बात पर अड़े हैं।

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