वाशिंगटन ।। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अगले दशक के दौरान राष्ट्रीय कर्ज में 32 खरब डॉलर तक की कमी लाने के लिए धनियों से नए कर के रूप में 15 खरब डॉलर की राशि वसूलने का प्रस्ताव किया है।

ओबामा ने सोमवार को व्हाइट हाउस में अपने एक सम्बोधन में यह भी चेतावनी दी कि कर्ज में कमी से सम्बंधित उस किसी भी विधेयक को वह वीटो के जरिए खारिज कर देंगे, जो सरकार द्वारा बुजुर्गो को उपलब्ध कराए जाने वाले चिकित्सकीय देखभाल व चिकित्सकीय सहायता जैसे लाभों में कटौती करता हो, और धनियों पर ऊंचे कर न लागू करता हो।

समाचार पत्र ‘वाशिंगटन पोस्ट’ के अनुसार, ओबामा ने कहा, “मैं उस योजना का समर्थन नहीं करूंगा, जो सारा बोझा सामान्य अमेरिकियों पर डालता हो।”

अखबार ने कहा है कि ओबामा ने ऐसा रुख अख्तियार किया है, जो देश के सामाजिक सुरक्षा तंत्र में किसी तरह की कटौती नहीं चाहता और करोड़पतियों, अन्य अमेरिकी धनियों तथा कुछ उद्योगपितयों पर नए कर लगाकर उनसे अधिक वसूली करना चाहता है।

समाचार पत्र ‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने कहा है, “नई जमीन तलाशने के बदले, राष्ट्रपति उसी तरह का सख्त रुख अख्तियार कर रहे हैं, जिस तरह का रुख रिपब्लिकन ने कर्ज सीमा बढ़ाने को लेकर हुई बहस में अपनाया था।”

ओबामा के इस प्रस्ताव पर कई प्रमुख रिपब्लिकन नेताओं ने नाराजगी जाहिर की है।

विशेष समिति को 23 नवम्बर तक हर हाल में 12 खरब डॉलर से 15 खरब डॉलर की राशि जुटानी है अन्यथा संघीय बजट 2013 के प्रारम्भ में अपने आप 12 खरब डॉलर तक कम हो जाएगा। इस गम्भीर कटौती का बोझ रक्षा और घरेलू खर्च पर बांटा जाएगा।

ओबामा ने करोड़पतियों के लिए निवेशक वारेन बफेट के नाम पर ‘बफेट सिद्धांत’ भी पेश किया। बफेट बार-बार इस बात को दोहराते हैं कि धनियों से पर्याप्त कर नहीं वसूला जाता।

ओबामा ने इस बात से इंकार किया कि सबसे धनी अमेरिकियों पर कर बढ़ाने का उनका इरादा वर्ग संघर्ष को जन्म देने का है, जैसा कि रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेताओं ने दावा किया है। राष्ट्रपति ने कहा, “यह वर्ग संघर्ष नहीं है। यह गणित है।”

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