संयुक्त राष्ट्र ।। संयुक्त राष्ट्र महासभा में ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के आक्रामक भाषण के एक दिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ईरान के साथ करीबी सम्बंधों के लिए प्रतिबद्धता दोहराते हुए उनसे भेंट की। महासभा में अहमदीनेजाद के भाषण के दौरान अमेरिका की अगुवाई वाले पश्चिमी देशों के प्रतिनिधि बाहर चले गए थे।
भारत के विदेश सचिव रंजन मथाई शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया, “यह मुलाकात पूर्व निर्धारित थी और यह मुख्य रूप से द्विपक्षीय सम्बंधों पर केंद्रित थी।” संवाददाताओं ने मथाई से जानना चाहा था कि भारत द्वारा फिलीस्तीन का समर्थन करने और अहमदीनेजाद से मुलाकात करने का अमेरिका के साथ उसके रिश्तों पर असर पड़ेगा। मथाई ने कहा कि अहमदीनेजाद से मुलाकात, फिलीस्तीन का समर्थन करने तथा अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात न करने का अर्थ भारत और अमेरिका के रिश्तों में ठंडापन आने का संकेत नहीं है।
मथाई ने कहा कि दोनों देशों ने फिलीस्तीन के राष्ट्रपति के भाषण के बारे में तो चर्चा नहीं की लेकिन संयुक्त राष्ट्र में पूर्ण सदस्यता पाने के फिलीस्तीन के प्रयास के प्रति समर्थन व्यक्त किया।
काफी अर्से के बाद हुई दोनों नेताओं की इस बैठक में मनमोहन सिंह ने अहमदीनेजाद की ओर से दिया गया ईरान यात्रा का निमंत्रण सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया। मथाई ने बताया कि प्रधानमंत्री की ईरान यात्रा की तारीखे तय की जाएंगी हालांकि लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार जल्द ही ईरान जाने वाली हैं।
दोनों नेताओं ने प्रस्तावित ईरान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन के बारे में चर्चा नहीं की। इस बारे में अमेरिका के साथ मतभेद हैं। दोनों नेताओं हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में सहयोग की सम्भावनाओं सहित कई परियोजनाओं पर चर्चा की।
भारत और अमेरिका के विदेश मंत्रियों की सोमवार को वार्ता हो सकती है।