वाशिंगटन ।। एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका कठिन चुनौतियों का सामना कर रहा है। उसकी चुनौतियों में एक चुनौती यह भी है कि आखिर भारत और चीन जैसी उभर रही शक्तियों कैसे जोड़ा जाए। ओबामा प्रशासन में एक शीर्ष रक्षा पद पर नामित, मार्क लिपर्ट ने गुरुवार को सीनेट की सशस्त्र सैन्य समिति के समक्ष एशियाई और प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा मंत्री के पद पर अपनी नियुक्ति पर सुनवाई के दौरान कहा, “इस महत्वपूर्ण विभाग की चुनौतियां स्वत: जाहिर हैं।”

लिपर्ट ने कहा है कि इन चुनौतियों में, अफगानिस्तान व पाकिस्तान में अलकायदा को रोकना, ध्वस्त करना और पराजित करना, पूर्व एवं दक्षिण पूर्व एशिया में संधि से जुड़े सहयोगियों व साझेदारों के साथ अमेरिकी सेना की छवि बनाए रखना व बढ़ाना, भारत व चीन जैसी उभर रही शक्तियों को जोड़ना, और सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार को रोकना शामिल हैं।

लिपर्ट ने इस बात से सहमति जताई कि अमेरिका-पाकिस्तान के सम्बंधों को सामान्य बनाने के लिए पाकिस्तान को देश की सीमा के अंदर स्थित आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाहों को समाप्त करना होगा।

लिपर्ट ने कहा कि यदि उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई तो वह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रक्षा विभाग की नीति को दिशानिर्देश देने में मदद करेंगे, क्योंकि विभाग राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष अनवरत खड़े खतरों से निपटने के लिए एक सादगीपूर्ण बजट के वातावरण में काम करता है। 

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