बेंगलुरु, Hindi7.com ।। भाजपा शासित कर्नाटक में राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में “भगवत गीता” पढ़ाए जाने का समर्थन करने पर पहले से चल रहा विवाद और गहराता जा रहा है। इस कार्यक्रम की शुरुआत “गंगा धरेंद्र सरस्वती स्वामी” ने की है। राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री विश्वनाथ हेगड़े कागेरी ने कोलार में एक बयान देकर मामले को और तुल दे दिया है।

क्या कहा शिक्षा मंत्री विश्वनाथ हेगड़े कागेरी ने?

कोलार में एक कार्यक्रम के दौरान शिक्षा मंत्री ने कहा कि “गीता पढ़ाने का विरोध करने वालों को भारत छोड़ देना चाहिए।” विश्वनाथ ने यह भी कहा कि छात्रों में नैतिक मूल्यों का सृजन करने के लिए इसे पढ़ाना जरूरी है।

मामले पर सरकार की ओर से स्पष्टीकरण

इससे पहले 8 जुलाई को बेंगलुरु में उन्होंने घोषणा की थी कि सरकार स्कूलों में भगवत गीता की शिक्षा को आवश्यक करने के लिए तैयार है, लेकिन उच्च शिक्षा मंत्री वी. एस. आचार्य ने यह कहते हुए कागेरी के इस बयान का बचाव किया था कि इसे धार्मिक शिक्षा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

कागेरी ने यह कह कर स्कूलों में गीता पढ़ाने के कार्यक्रम को सरकार द्वारा समर्थन देने के फैसले का बचाव किया है कि यह शिक्षा स्कूल समाप्त होने के बाद दी जाती है और पूरी तरह ऐच्छिक है। साथ ही राज्य सरकार न तो इसे आयोजित कर रही है और न ही इसे वित्तीय मदद दे रही है। सरकार सिर्फ सरस्वती स्वामी के कार्यक्रम को अपना समर्थन दे रही है।

कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दायर

सरकार के इस प्रयास को शिक्षा का साम्प्रदायीकरण करार देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट में 14 जुलाई को एक याचिका भी दायर की गई, जिस पर अदालत ने राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।

सीपीएम कर रहा विरोध

सीपीएम की छात्र इकाई भारतीय छात्र संघ के सदस्यों ने 6 जुलाई को कोलार में छात्रों को गीता का पाठ पढ़ाने के लिए आयोजित सरस्वती स्वामी के कार्यक्रम के विरोध में रैली भी निकाली। इस दौरान कोलार इकाई के एसएफआई अध्यक्ष वी. अम्बरीश को गिरफ्तार कर लिया गया और 5 दिन बाद जमानत पर रिहा गया।

सीपीएम का दावा

अम्बरीश ने सरस्वती स्वामी पर आरोप लगाया कि 6 जुलाई को कोलार में निषेधाज्ञा लागू होने के बावजूद उन्होंने सभा की। एसएफआई का कहना है कि वह 2007 से ही इस कार्यक्रम का विरोध कर रहा है।

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here