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भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, भारत में दिनों दिन लोकतंत्र मजबूत होती रही है। लोकतंत्र की मजबूती का अनुमान वोट के प्रतिशत को आधार मानकर भी किया जाता है।
क्या आपको पता है भारत में लोकसभा चुनावों में कब कितने प्रतिशत वोट पड़े? किस राज्य में वोट प्रतिशत अधिक रहा है? वोट प्रतिशत को बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग क्या-क्या इंतजाम करती है?

मतदान प्रतिशत क्या होता है?

मतदान प्रतिशत को हम इस तरह से परिभाषित कर सकते हैं कि कुल मतदाताओं में जितने मतदाता ने अपना मतदान किया है। उसका प्रतिशत क्या है?
उदाहरण के लिए अगर किसी क्षेत्र में 1000 मतदाता हैं और इनमें से अगर 600 लोगों ने अपने मतदान का उपयोग किया है तो मतदान का प्रतिशत 60 होगा।

चुनाव दर चुनाव कैसा रहा है मतदान प्रतिशत?

1952 का आम चुनाव- देश के पहले आम चुनाव में जनता तक इसके महत्व को पहुंचना एक कठिन काम था। पहले आम चुनाव में भारत के पास संसाधन का भी काफी अभाव था। इस चुनाव में तमाम चुनौती के बाद भी लगभग 45 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

1957 का आम चुनाव- 1957 के आम चुनाव में चुनाव कराना पहले चुनाव की तरह कठिन तो नहीं था लेकिन मतदाताओं को अपने साथ जोड़ना तब भी कठिन ही रहा इस चुनाव में भी 47 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।

1962 का आम चुनाव- 1962 का आम चुनाव कुछ अलग था जनता में चुनाव को लेकर समझ तो आ गयी थी। पहली बार मतदान का प्रतिशत पचास के पार चला गया था। इस चुनाव में कुल 52 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत दिये थें।

1967 का आम चुनाव- 1967 का आम चुनाव आते-आते राजनीतिक रूप से कई परिवर्तन आ चुके थे। लेकिन इस चुनाव में मतदान के प्रतिशत में गिरावट आ गयी इस चुनाव में मात्र 40 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।

1971 का आम चुनाव- इस चुनाव में भी मतदाताओं मे कुछ खास उत्साह नहीं रहा था। इस चुनाव में कुल 43 प्रतिशत मतदान हुई थी। इस चुनाव में हलांकि चुनाव आयोग ने मतदान के लिए लोगों से खूब अपील की थी।

1977 का आम चुनाव- इस चुनाव में इंदिरा गांधी के द्वारा लगाए गये अपातकाल के विरोध में जनता ने मतदान किया था। इस चुनाव में कुल 52 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया था। 15 वर्ष बाद एक बार फिर से मतदान प्रतिशत 50 के पार पहुंचा था।

1980 का आम चुनाव- 1980 के आम चुनाव में भी लगभग 50 प्रतिशत जनता ने मतदान किया था।

1984 का आम चुनाव- 1984 का आम चुनाव में इंदिरा गांधी के हत्या की साहनुभूती में चुनाव हुई थी। लेकिन मतदान के प्रतिशत में एक बार फिर गिरावट देखने को मिला इस चुनाव में कुल 48 फिसदी जनता ने अपना वोट दिया था।

1989 का आम चुनाव- इस चुनाव में जनता ने 53 फिसदी मतदान किया इस चुनाव में खंडित जनादेश प्राप्त हुआ था।

1991 का आम चुनाव- 1991 के आम चुनाव में एक बार फिर से 53 फिसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस चुनाव आते-आते चुनाव आयोग की तरफ से अनेक प्रयास मतों के प्रतिशत को बढ़ाने के लिये किये जाने लगे थे।

1996 का आम चुनाव- एक बार फिर से इस चुनाव में मत प्रतिशत में गिरावट देखने को मिली थी।

1998 का आम चुनाव- इस चुनाव में रिकॉड तोड़ मतदान देखने को मिली पूरे देश में इस चुनाव में लगभग 66 फिसदी मतदान हुई थी।

1999 का आम चुनाव- इस चुनाव मे एक बार फिर से मतदान में गिरावट देखनें को मिली। इस चुनाव में लगभग 60 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मतदान का प्रयोग किया था।

2004 का आम चुनाव- 2004 के चुनाव में एक बार फिर मतों के प्रतिशत में गिरावट हुई। मत प्रतिशत गिरकर 58 पर पहुंच गया।

2009 का आम चुनाव – 2009 के आम चुनाव में एक बार फिर 58 फिसदी जनता ने अपने वोट डाले थे।

2014 का आम चुनाव- इस चुनाव में एक बार फिर जनता ने जमकर वोटिंग की इस चुनाव में लगभग 67 प्रतिशत जनता ने वोट डाले थे।
अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब-जब जनता सत्ता परिवर्तन के लिये मतदान करती है तो मतदान प्रतिशत में इजाफा होता है।

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चुनाव आयोग मतदान के प्रतिशत को बढ़ाने के लिये क्या-क्या करती है?

  1. चुनाव आयोग की तरफ से लगातार प्रयास किये जाते रहे हैं चुनाव आयोग जगह-जगह नारा और पोस्टर के माध्यम से मतदान की अपील करती रही है।
  2. चुनाव आयोग की तरफ से समाज के नामचीन लोगों को चुनाव का ब्रांड अंबेस्डर बनाया जाता है, उनसे अपील की जाती है की वो जनता से कहे की वो मत देने के लिये घरों से बाहर आए।
  3. चुनाव आयोग की तरफ से सुरक्षा के व्यापक व्यावस्था की जाती है की लोग शांतीपूर्ण हालत में मतदान केंद्र तक पहुंचे।
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