नई दिल्ली ।। आग बरसाते जून के महीने में पहाड़ी वादियों की ठंडक तन और मन को बेहद आराम देती है। यदि आप ठंडे और शांत माहौल की तलाश में हैं, तो मनाली जिसे रंगबिरंगे फूलों की घाटी भी कहा जाता है आपको खूब भाएगा। यही सोचकर भारी संख्या में पर्यटकों ने पहाड़ों का रुख कर लिया है। आप भी कहीं जाने की बात सोच रहे हैं, तो आपके लिए हिमाचल प्रदेश का मनाली एक अच्छी जगह साबित हो सकती है। आप एडवेंचर के शौकीन हैं, तो आपके लिए यहां ट्रैकिंग, माउंटेनियरिंग, स्कीइंग, पैरा ग्लाइडिंग आदि की व्यवस्था मिल जाएगी। 

प्रकृति ने मनाली को खुले हाथों से नूर बख्शा है। कुल्लू घाटी के प्रमुख पर्यटक स्थल मनाली में आकर हर कोई अपने आपको स्वर्ग में पाता है। हरी भरी वादियों ऊंचे-नीचे पहाड़ों पर दूर-दूर तक दिखाई देते देवदार के छोटे-बड़े पेड़ प्राकृतिक सौंदर्य को दोगुना कर देते हैं। इनके बीच घुमावदार पहाड़ी पगडंडियों पर चलते लोगों को देखकर खुद भी ट्रैकिंग का मन कर आता है। 

स्थिति

मनाली कुल्लु घाटी के उत्तर में स्थित हिमाचल प्रदेश का लोकप्रिय हिल स्टेशन है। समुद्र तल से 2050 मीटर की  ऊंचाई पर स्थित मनाली व्यास नदी के किनारे बसा है। गर्मियों से निजात पाने के लिए इस हिल स्टेशन पर हजारों की तादाद में सैलानी आते हैं। गर्मी के मौसम में यहां का तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। सर्दियों में यहां का तापमान शून्य डिग्री से नीचे पहुंच जाता है।

क्या है देखने लायक

कुल्लू घाटी का असली सौंदर्य मनाली में ही देखने को मिलता है। यहां देखने और घूमने के लिहाज से बहुत से मशहूर स्थल हैं। यहां की सुरमई शाम अलसाती भोर का मजा ही कुछ और है।

हिडिम्बा मंदिर

समुद्र तल से 1533 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर धूंगरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर यहां की स्थानीय देवी हिडिम्बा को समर्पित है। हिडिम्बा महाभारत में वर्णित भीम की पत्नी थी। मई के महीने में यहां एक उत्सव मनाया जाता है। महाराज बहादुर सिंह ने यह मंदिर 1553 ई. में बनवाया था। लकड़ी से निर्मित यह मंदिर पैगोड़ा शैली में बना है। 

वशिष्ठ

मनाली से 3 किमी. दूर वशिष्ठ स्थित है। प्राचीन पत्थरों से बने मंदिरों का यह जोड़ा एक दूसरे के विपरीत दिशा में है। एक मंदिर भगवान राम को और दूसरा संत वशिष्ठ को समर्पित है।

कोठी 

मनाली से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, कोठी। यहां से पहाड़ों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। यहां बीस नदी का तेजी से बहता ठंडा पानी अदभुत नजारा पेश करता है।

राहला फॉल्स, मनाली सैंचुरी

कोठी से दो किमी की दूरी पर बीस नदी पर राहला फॉल्स स्थित है। यहां 50 मीटर की ऊंचाई से गिरता झरने का पानी सैलानियों को खूब लुभाता है। मनाली सैंचुरी में पर्यटक कैपिंग के लिए पहुंचते हैं।

सोलन वैली 

यहां से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोलन वैली सैलानियों को खासी आकर्षित करती है। यहां ट्रैकिंग, स्कीइंग और माउंटेनियरिंग के कैंप आयोजित किए जाते हैं। 10 से 14 फरवरी के बीच यहां सालाना विंटर कार्निवाल का आयोजन किया जाता है।

रोहतांग दर्रा

मनाली से 50 किमी. दूर समुद्र तल से 4111 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा साहसिक पर्यटकों को बहुत रास आता है। दर्रे के पश्चिम में दसोहर नामक एक खूबसूरत झील है। गर्मियों के दिनों मे भी यह स्थान काफी ठंडा रहता है। जून से नवंबर के बीच लाहौल घाटी से यहां पहुंचा जा सकता है। यहां से कुछ दूरी पर सोनपानी ग्लेशियर है।

रोहतांग भी है मनाली के पास

मनाली के आस-पास के इलाकों में सैलानियों के लिए बहुत कुछ बिखरा पड़ा है। प्रकृति ने यहां आने वालों के लिए अपना खजाना दोनों हाथों से खोल दिया है। पहाड़ियों पर बने छोटे-छोटे घर और इनके आस-पास फैली हरियाली मन को लुभाती है। यहां से 51 किमी की दूरी पर मशहूर पर्यटक स्थल रोहतांग पास स्थित है। यहां हर साल हजारों की संख्या में सैलानी घूमने के लिए आते हैं।

व्यास कुंड

यह कुंड पवित्र व्यास नदी का जल स्रोत है। व्यास नदी में झरने के समान यहां से पानी बहता है। यहां का पानी एकदम साफ और इतना ठंडा होता है कि उंगलियों को सुन्न कर देता है। इसके चारों ओर पत्थर ही पत्थर हैं और वनस्पतियां बहुत कम हैं। 

ओल्ड मनाली

मनाली से 3 किमी. उत्तर पश्चिम में ओल्ड मनाली है जो बगीचों और प्राचीन गेस्टहाउसों के लिए काफी प्रसिद्ध है। मनालीगढ़ नामक क्षतिग्रस्त किला भी यहां देखा जा सकता है। 

सोलंग नुल्लाह

मनाली से 13 किमी की दूरी पर स्थित सोलंग नुल्लाह 300 मीटर की स्की लिफ्ट के लिए लोकप्रिय है। इस खूबसूरत स्थान से ग्लेशियर और बर्फ से ढकी पहाड़ों की चोटियों के मनोहर नजारे देखे जा सकते हैं। नजदीक ही मनाली की प्रारंभिक राजधानी जगतसुख भी देखने योग्य जगह है। 

मनु मंदिर

ओल्ड मनाली में स्थित मनु मंदिर महर्षि मनु को समर्पित है। यहां आकर उन्होंने ध्यान लगाया था। मंदिर तक पहुंचने का मार्ग दुरूह और रपटीला है। 

अर्जुन गुफा

कहा जाता है महाभारत के अर्जुन ने यहां तपस्या की थी। इसी स्थान पर इन्द्रदेव ने उन्हें पशुपति अस्त्र प्रदान किया था। 

खरीददारी

मनाली से हस्तशिल्प का सामान और कारपेट की खरीददारी सैलानी अक्सर करते हैं। मनाली के ऊन के शॉल भी काफी लोकप्रिय हैं। इन शॉलों को कशीदाकारी से सजाया जाता है। द मॉल और न्यू शापिंग सेंटर से खरीददारी सबसे अच्छा विकल्प है। यहां मिलने वाली कुल्लू टोपियां भी बहुत पसंद की जाती हैं। मनाली के बाजारों में तिब्बती हस्तशिल्प का सामान बड़ी मात्रा में मिलता है। घर की सजावट, उपहार और स्मारिकाओं की निशानी के तौर पर इन्हें खरीदा जा सकता है। 

कब जाएं

यहां जाने के लिए गर्मी के लिहाज से मार्च से जून और ठण्ड के लिहाज से अक्टूबर से फरवरी के महीने ज्यादा ठीक रहते हैं। 

कैसे जाएं

वायुमार्ग – मनाली से 50 किमी. की दूरी पर भुंटार नजदीकी एयरपोर्ट है। मनाली पहुंचने के लिए यहां से बस या टैक्सी की सेवाएं ली सकती हैं।

रेलमार्ग – जोगिन्दर नगर नैरो गैज रेलवे स्टेशन मनाली का नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो मनाली से 135 किमी. की दूरी पर है। मनाली से 310 किमी. दूर चंडीगढ़ नजदीकी ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन है। 

सड़क मार्ग – मनाली हिमाचल और आसपास के शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से मनाली जाती हैं।

पर्यटन कार्यालय

हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम

माल रोड़, मनाली

दूरभाष – 01902-252175, 253531

हिमाचल प्रदेश प्रदेश पर्यटन विकास निगम

चन्द्रलोक बिल्डिंग, 36 जनपथ, नई दिल्ली

दूरभाष – 011-23325320

फैक्स – 23731072

वेबसाइट – www.hptdc.nic.in

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