नई दिल्ली ।। दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर बुधवार की सुबह हुए एक बम विस्फोट में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई जबकि 90 घायल हो गए।

घायलों में चार की हालत नाजुक है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआईए] ने जांच की कमान संभाल ली है। फोरेंसिक जांच रिपोर्ट गुरुवार को मिल सकती है जिससे अहम सुराग मिलने की उम्मीद है।

केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने बुधवार देर शाम कहा कि बम विस्फोट की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट गुरुवार को मिल सकती है। उन्होंने कहा कि गुजरात से आए फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के विशेषज्ञ जो बम विस्फोटों के विशेषज्ञ हैं, वे घटनास्थल की बारीकी से जांच कर रहे हैं। विशेषज्ञ विस्फोट की प्रकृति के बारे में शीघ्र ही महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे।

मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच की जिम्मेदारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआईए] को सौंपी गई है। जांच एजेंसी ने मामले की पड़ताल के लिए 20 अधिकारियों की एक कोर टीम और 17 अधिकारियों की एक सहायक टीम बनाई है।

चिदम्बरम ने एक बयान में कहा कि दिल्ली पुलिस राष्ट्रीय जांच एजेंसी के साथ मिलकर काम कर रही है।

सभी राजनीतिक दलों ने इस हमले की एक सुर में निंदा की तो केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार ने मृतकों के परिजनों और घायलों के लिए मुआवजे की घोषणा की।

दिल्ली पुलिस ने प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत के आधार पर ब्रीफकेस रखने वाले दो संदिग्धों के स्केच जारी किए हैं। इनमें से एक संदिग्ध की उम्र करीब 20 वर्ष जबकि दूसरे कि करीब 50 वर्ष बताई गई है। वहीं, जांच एजेंसियों का मानना है कि विस्फोट में अमनोनियम नाइट्रेट और प्लास्टिक आधारित खतरनाक विस्फोटक इस्तेमाल किए गए।

न्यायालय के गेट नम्बर पांच के बाहर बम को ब्रीफकेस में छिपाकर रखा गया था। सुबह करीब 10.15 बजे लगभग 300 लोग परिसर में प्रवेश का पास बनवाने के लिए वहां खड़े थे कि तभी विस्फोट हुआ। विस्फोट होते ही कई लोगों ने तत्काल दम तोड़ दिया जबकि घायल पीड़ा में कराहते रहे।

ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय दिल्ली के मध्य में स्थित है। यह ऐतिहासिक इंडिया गेट से थोड़ी दूरी पर स्थित है।

इस बीच, पाकिस्तान से गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जेहादी इस्लामी [हूजी] ने इस विस्फोट की जिम्मेदारी ली है। विभिन्न मीडिया संगठनों को भेजे गए ईमेल संदेश में उसने कहा कि यह विस्फोट उसने करवाया है। उसने अफजल गुरु की मौत की सजा को निरस्त करने की मांग की है।

राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभाध्यक्ष एवं राजनीतिक दलों एवं उनके वरिष्ठ नेताओं ने इस विस्फोट की निंदा की है जबकि विपक्ष ने इसे सुरक्षा में चूक बताया है। बांग्लादेश के दौरे पर गए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे ‘कायराना हमला’ करार दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के अभिशाप से निपटने के लिए सभी राजनीतिक दलों और भारतीय जनता को एकजुट होना होगा।

प्रधानमंत्री और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित मृतकों के परिजनों के लिए क्रमश: दो लाख रुपये और चार लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है।

लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार ने बम विस्फोट की निंदा करते हुए इसमें हताहत होने वालों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए सदन की कार्यवाही 12.30 बजे तक स्थगित कर दी।

सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने लोकसभा में कहा कि दिल्ली आतंकवादी गुटों के निशाने पर है। उन्होंने कहा कि फिलहाल हमलावरों के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा, “आतंकवादी हमलों को किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता।”

केंद्रीय गृह मंत्रालय में सचिव यू.के. बंसल ने कहा कि ऐसा मालूम होता है कि धमाके में नाइट्रेट और शक्तिशाली विस्फोटक पेनटेयरीथ्रिटोल ट्राइनाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ।

इससे पहले केंद्रीय गृह सचिव आर.के. सिंह ने बताया कि यह विस्फोट उच्च न्यायालय परिसर के गेट नम्बर पांच के बाहर सुबह करीब 10.30 बजे हुआ। उस समय वहां काफी भीड़भाड़ थी और न्यायालय परिसर में दाखिल होने की प्रतीक्षा कर रहे लोगों की लम्बी कतार लगी हुई थी।

सिंह ने संवाददाताओं को बताया, “बम ब्रीफकेस में रखा गया था। हमें ब्रीफकेस के टुकड़े मिले हैं।” उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी, फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की टीम और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड की टीम सबूत जुटाने के लिए घटनास्थल का मुआयना कर रही है।

दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त [कानून एवं व्यवस्था] धर्मेद्र कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि हमने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है और मामले की जांच की जा रही है। अपर आयुक्त के. सी. द्विवेदी ने आईएएनएस से कहा कि इस विस्फोट में अमोनियम नाइट्रेट के इस्तेमाल होने की सम्भावना है।

उधर बम विस्फोट के बाद न्यायालय में कामकाज दोपहर भोजन के बाद दोबारा शुरू हुआ। दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के सचिव डी.के. शर्मा ने कहा कि यह संदेश देने के लिए कि इस तरह के आतंकवादी हमले से हम डरते नहीं, न्यायालय में कामकाज दोबारा शुरू हुआ।

दिल्ली उच्च न्यायालय में चार महीनों के भीतर विस्फोट की यह दूसरी घटना है। हैरान करने वाली बात यह है कि चार महीने पहले विस्फोट की नाकाम कोशिश होने के वाबजूद पुलिस ने दिल्ली उच्च न्यायालय के गेटों पर सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगवाए। वर्ष 2008 के मुम्बई बम हमले के बाद विस्फोट की यह तीसरी प्रमुख घटना है।

इजरायल, अमेरिका, आस्ट्रेलिया सहित कई देशों ने भी इस हमले की निंदा की है।

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