नई दिल्ली ।। मानव विकास सूचकांक में भारत 187 देशों की सूची में 134वें स्थान पर है। यह सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा और आय संकेतकों में दीर्घकालिक प्रगति का आकलन करता है।

यद्यपि भारत को मध्यम श्रेणी में रखा गया है, लेकिन इस मामले में उसकी स्थिति युद्धग्रस्त इराक और फिलीपींस सहित आर्थिक रूप से कम विकसित देशों से पीछे है। इसके पहले 2010 में भारत 169 देशों की सूची में 119वें स्थान पर था।

इस सूचकांक में श्रीलंका 97वें स्थान पर, चीन 101वें स्थान पर, और मालदीव 109वें स्थान पर है। जबकि भूटान भारत से भी पीछे 141वें स्थान पर है।

पाकिस्तान और बांग्लादेश इस सूची में क्रमश: 145वें व 146वें स्थान पर हैं। नार्वे पहले स्थान पर और कांगो सूची में बिल्कुल अंतिम पायदान पर चला गया है।

दक्षिण एशिया के अन्य दो देश, नेपाल और अफगानिस्तान को क्रमश: 157वें और 172वें स्थान पर रखा गया है।

‘संयुक्त राष्ट्र मानव विकास रिपोर्ट 2011 : स्थिरता एवं विषमता’ के अनुसार, भारत का मानव विकास सूचकांक 2010 के 0.3 की बनिस्बत 2011 में 0.5 है।

ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि साल दर साल तुलना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने कहा, “विकास संकेतकों में किसी भी बदलाव को दीर्घकालिक रूप में मापा जाना चाहिए।”

संयुक्त राष्ट्र की अधिकारी सीता प्रभु ने कहा, “यदि 2010 की प्रक्रिया अपनाई गई होती और नमूने का आकार समान रहा होता तो 2011 का मानव विकास सूचकांक समान होता। इस बार सर्वेक्षण में 18 नए देश शामिल किए गए।” प्रभु ने कहा कि भारत का लिंग विषमता सूचकांक दक्षिण एशिया में सबसे ऊंचा, 0.6 पर है।

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here