नई दिल्ली ।। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2जी मामले में सोमवार को दूसरा अनुपूरक आरोप-पत्र दाखिल किया। इस बार सीबीआई की विशेष अदालत में पेश आरोप-पत्र में तीन कम्पनियों और पांच व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र एवं धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है।
ताजा अनुपूरक आरोप पत्र में एस्सार समूह के कुछ प्रमोटर भी शामिल हैं। कुल 105 पृष्ठों और 22,000 संलग्नकों वाले इस दूसरे अनुपूरक आरोप-पत्र में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत कथित धोखाधड़ी एवं आपराधिक षड्यंत्र का अभियोजन चलाने की बात कही गई है।
सीबीआई को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अभियोजन चलाने लायक सबूत नहीं मिल पाए इसलिए जांच एजेंसी ने उन पर भारतीय दंड संहिता के तहत आरोप लगाए।
तीन कम्पनियों में एस्सार टेलीहोल्डिंग्स, लूप टेलीकॉम तथा लूप मोबाइल इंडिया शामिल हैं, जबकि पांच व्यक्तियों में एस्सार समूह के प्रमोटर अंशुमान रूइया, रविकांत रूइया व विकास सर्राफ और लूप के प्रमोटर ईश्वरी प्रसाद खतान एवं किरण खतान शामिल हैं।
इस आरोप पत्र के साथ मामले में कुल आरोपी व्यक्तियों की संख्या बढ़ कर 19 और आरोपी कम्पनियों की संख्या बढ़कर छह हो गई।
आरोप पत्र में कहा गया कि एस्सार समूह ने 2008 में लाइसेंस हासिल करने के लिए लूप को छद्म कम्पनी के रूप में इस्तेमाल किया। समूह की पहले से वोडाफोन में 33 फीसदी हिस्सेदारी थी, इसके साथ ही उसकी लूप में भी काफी हिस्सेदारी थी, जबकि लाइसेंस की शर्त इसकी इजाजत नहीं देता था।
लूप को 1,450 करोड़ रुपये में 21 सर्किलों के लिए लाइसेंस दिया गया था।
एस्सार समूह ने सीबीआई के आरोप को गलत बताया।
समूह ने एक बयान जारी कर कहा, “केंद्र सरकार (कम्पनी मामलों का केंद्रीय मंत्रालय और केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय) ने कह दिया है कि कम्पनी ने उपबंध-8 (युनीफाईड एक्सेस सर्विस लाइसेंस) का उल्लंघन नहीं किया है, इसके बावजूद सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया।”
बयान में कहा गया, “कम्पनी ने हमेशा कहा है कि आवेदन करते वक्त लूप में उसकी सिर्फ 2.15 फीसदी हिस्सेदारी थी, जो उपबंध-8 का उल्लंघन नहीं है।” नियमों के मुताबिक एस्सार की वोडाफोन के साथ किसी अन्य दूरसंचार कम्पनी में अधिकतम 10 फीसदी की स्सेदारी हो सकती थी।
लूप टेलीकॉम 1995 में बीपीएल मोबाइल के नाम से नाम्बियार समूह के द्वारा शुरू हुआ था। सन 2005 में खतान समूह ने इसे खरीद कर इसका नाम लूप रख दिया।
सीबीआई ने सोमवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी की अदालत में अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल किया। न्यायाधीश 17 दिसम्बर की सुनवाई में यह फैसला लेंगे कि इस आरोप को स्वीकार किया जाए या नहीं।
सीबीआई द्वारा इससे पहले आरोपी बनाए गए सभी आरोपियों और सह आरोपियों में सिर्फ पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा और पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा जेल में हैं। बाकी सभी को जमानत पर छोड़ा जा चुका है।