नई दिल्ली ।। विवादास्पद तथाकथित 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में लेखापरीक्षा रिपोर्ट के एक प्रमुख लेखक आर.पी. सिंह ने संयुक्त संसदीय समिति से सोमवार को कहा मामले में बताया गया 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान सिर्फ एक गणितीय आकलन है और यह आकलन अधूरा है।

समिति के अध्यक्ष पी.सी. चाको के मुताबिक पूर्व महानिदेशक (लेखापरीक्षा, डाक और दूरसंचार) ने समिति से कहा कि इस मामले में नुकसान सिर्फ 2,645 करोड़ रुपये का ही हुआ है। और इस राशि पर वह इस आधार पर पहुंचे कि प्रवेश शुल्क 2001 में तय किया गया था, जिसमें 2008 में बदलाव नहीं किया गया।

चाको ने कहा कि सिंह सात वर्षों की महंगाई दर के आधार पर इस आंकड़े पर पहुंचे।

सिंह ने समिति से कहा कि उन्होंने अपनी मसौदा रिपोर्ट में नुकसान का आकलन नहीं किया, क्योंकि स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं की गई थी इसलिए इसकी जरूरत नहीं थी।

चाको के मुताबिक सिंह ने समिति के सामने दी गई गवाही में कहा, “2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में नुकसान की गणना नहीं की जा सकती, क्योंकि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण ने नीलामी की सिफारिश नहीं की थी।”

चाको ने कहा, “उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस मामले में नुकसान का आकलन नहीं किया जा सकता।”

सिंह ने कहा कि इस मामले में अनुमानित नुकसान का आकलन करना अपनी निजी राय थोपना था, जिस पर सवाल खड़ा हो सकता है और यह अनुमानित नुकसान एक गणितीय आकलन है।

सिंह ने कहा कि राजस्व की अधिकतम वसूली कैसे हो और अनुमानित नुकसान का आकलन करना लेखापरीक्षा का मकसद नहीं था। और इसे बाद में जोड़ा गया था।

सिंह ने सिर्फ इस रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया था और नुकसान का कोई निश्चित आकलन नहीं किया था, क्योंकि स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं हुई थी। लेकिन कहा था कि 2001 की दर 2008 में उचित नहीं थी, जबकि दूरसंचार क्षेत्र में काफी तरक्की हुई थी।

मसौदा रिपोर्ट 31 मई 2010 को तैयार की गई थी और इस पर अभी संसद की लोकलेखा समिति विचार कर रही है।

चाको ने कहा कि सिंह ने वर्ष 2008 के विवादास्पद अंतिम रिपोर्ट पर दस्तखत किया, क्योंकि उनके वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था।

चाको ने कहा, “सिंह को अंतिम रिपोर्ट तैयार करते वक्त अलग रखा गया था और बाद में इस पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया तथा अंतिम पृष्ठ पर भी हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया। जबकि इसकी कुछ बातों से वह असहमत थे।”

संयुक्त संसदीय समिति नियंत्रक महालेखापरीक्षक विनोद राय से भी पूछताछ करेगी। राय ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखा है कि उन्होंने 2जी मामले की लेखापरीक्षा रिपोर्ट में सरकार की नीति पर टिप्पणी नहीं की है।

राय से सोमवार को पूछताछ होनी थी, लेकिन इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया है।

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