नई दिल्ली ।। 2जी स्पेक्ट्रम मामले में केंद्रीय वित्त मंत्रालय की टिप्पणी ने जहां केंद्र सरकार के लिए नया संकट खड़ा कर दिया है वहीं मामले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने मंगलवार को इस सिलसिले में मंत्रालय के आधिकारिक दस्तावेजों की मांग की।

मामले में घिरे केंद्रीय गृह मंत्री का बचाव करने के लिए सरकार अपना पूरा जोर लगा रही है। वहीं, इस बात की सम्भावना है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बुधवार को पार्टी के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ विचार-विमर्श करेंगे।

मामले से जुड़े घटनाक्रम में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को स्पेक्ट्रम आवंटन में वर्ष 2008 के केंद्रीय वित्त मंत्री चिदम्बरम की भूमिका की जांच कराने की मांग करने वाली जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका के जवाब में कहा कि वह चिदम्बरम की भूमिका की जांच नहीं करेगी।

ज्ञात हो कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई टिप्पणी में कहा गया है कि यदि चिदम्बरम चाहते तो 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस की नीलामी हो सकती थी।

वहीं, जेपीसी के समक्ष मंत्रालय की इस टिप्पणी को नहीं सौंपने पर समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने सरकार की तीखी आलोचना की। इसे लेकर विपक्षी सदस्यों ने बैठक में जमकर हंगामा किया। हंगामे को देखते हुए जेपीसी की बैठक बुधवार तक के लिए टाल दी गई।

समिति ने वर्ष 2004-05 के दौरान केंद्रीय दूरसंचार सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा के बयान दर्ज किए।

बैठक के बाद कांग्रेस सांसद चाको ने संवाददाताओं से कहा, “जेपीसी ने पीएमओ सहित सभी सम्बंधित मंत्रियों से समिति के अधिकारों से जुड़ी सभी जानकारियां सौंपने के लिए कहा है।”

उन्होंने कहा कि समिति टिप्पणी के सिलसिले में वित्त सचिव एवं आर्थिक मामलों के सचिव को पूछताछ के लिए बुलाएगी। चाको ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों से पूछा जाएगा कि टिप्पणी समिति के समक्ष क्यों नहीं पेश की गई।

चाको ने कहा कि सभी मंत्रियों से एक हलफनामा देने के लिए कहा जाएगा कि उन्होंने सभी प्रासंगिक दस्तावेजों को सौंप दिया है। सचिवों की एक समिति इन दस्तावेंजों की एक सूची बनाएगी।

सूत्रों ने कहा कि मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सदस्य सीताराम येचुरी ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय की टिप्पणी का मुद्दा उठाया। येचुरी ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जेपीसी को जो दस्तावेज सौंपे गए हैं, उसमें यह टिप्पणी शामिल नहीं है।

सूत्रों के अनुसार, येचुरी ने कहा कि “यदि 2जी से सम्बंधित इस टिप्पणी को जानबूझकर नहीं सौंपा गया है, तो यह विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है और यदि यह चूक है, तो एक गम्भीर चूक है।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद एस.एस. अहलूवालिया ने मांग की कि केंद्रीय वित्त सचिव को तलब किया जाए ताकि जेपीसी उनसे इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण मांग सके।

भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने जानना चाहा कि चिदम्बरम ने स्पेक्ट्रम लाइसेंस के आवंटन के लिए नीलामी प्रक्रिया छोड़ क्यों वर्ष 2001 की कम कीमत पर अपनी सहमति दी।

वहीं, चिदम्बरम का बचाव करते हुए कार्पोरेट मामलों के केंद्रीय मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि कांग्रेस के अंदर कोई मतभेद नहीं है।

मोइली ने पत्रकारों से कहा, “मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार के भीतर कुछ भी गलत नहीं है।”

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