नई दिल्ली ।। यूपीए सरकार में वित्त मंत्री और कांग्रेस के संकटमोचक प्रणव मुखर्जी ने वर्तमान गृहमंत्री और स्पेक्ट्रम आवंटन के समय वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम को क्लीन चिट दे दी है, लेकिन प्रणव को नोट पर उठे विवाद का पूरी तरह पटाक्षेप हो गया है या हो जाएगा, यह कहना अभी कठीन है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से एक लाख 76 हजार करोड़ रूपए के 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में चिदंबरम की भूमिका को लेकर मीडिया और विपक्ष ने कांग्रेस पर दबाव बना रखा था, जिससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई थीं और यूपीए सरकार के अंदर भी तूफान खड़ा हो गया था।
अब, इस पूरे प्रकरण पर कांग्रेस की अंदरूनी कलह तो खत्म होती दिख रही है, लेकिन यह कितना प्रभावी होगा, इस पर कयास जारी है। कहा जा रहा है कि इन दोनों वरिष्ठ मंत्रियों के बीच पर्दे के पीछे घमासान जारी है और इसके लंबे समय तक बने रहने के आसार हैं।
2जी स्पेक्ट्रम घोटाले का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुब्रमण्यम स्वामी ने कुछ दिनों पहले कोर्ट में प्रणब मुखर्जी की सहमति से प्रधानमंत्री कार्यालय को मार्च 2011 में भेजा गया एक नोट पेश कर सनसनी फैला दी थी। इस नोट में प्रणब ने पीएमओ को बताया था कि अगर चिदंबरम चाहते, तो स्पेक्ट्रम घोटाले को रोका जा सकता था, लेकिन उन्होंने तत्कालीन संचार मंत्री और अभी इसी मामले में तिहाड़ जेल में बंद ए. राजा को घोटाला करने से नहीं रोका।
इसके बाद कांग्रेस में उठा पटक तेज हो गई। इस दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने न्यूयॉर्क गए हुए थे, लिहाजा मामले ने वहां भी रंग दिखाया। प्रणब मुखर्जी ने पीएम से बैठक की और यह बोला कि वह कुछ नहीं बोलेंगे।
जब पीएम दिल्ली पहुंचे तो दो दिनों से सोनिया, मनमोहन, राहुल, कपिल सिब्बल, प्रणब और चिदंबरम के बीच लगातार मंत्रणा शुरू हो गई और अचानक आए संकट से निपटने के उपायों की तलाश की जाने लगी।
गुरूवार को मनमोहन और सोनिया अपने दोनों वरिष्ठ मंत्रियों चिदंबरम और प्रणब को एक साथ लाने में कामयाब हुए और फिर तय किया गया कि दोनों एक साथ पत्रकारों से मुखातिब होंगे।
प्रणब मुखर्जी ने सफाई में कह दिया कि उक्त नोट सिर्फ उन्होंने तैयार नहीं किया था, इसमें कई मंत्रालयों के विचार शामिल किए गए थे। इस पर चिदंबरम ने कहा कि वह प्रणब मुखर्जी की बातों से खुश हैं।
इससे पहले सीबीआई ने भी सुप्रीम कोर्ट में कह दिया था कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई करने का कोई मतलब ही नहीं बनता। चिदंबरम से पूछताछ करने के लिए उनके पास कोई मजबूत सबूत नहीं है।