न्यूयार्क ।। 2जी मामले में अपने मंत्रालय की टिप्पणी के सम्बंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इस मसले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

उन्होंने कहा कि यह मामला विचाराधीन है और कोई प्रतिक्रिया देने से पहले उन्हें अपने सहयोगी केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम से बात करने की जरूरत है।

मुखर्जी ने इस बैठक के बारे में कहा कि उन्होंने अपनी अमेरिका में हुई बैठकों और 2जी मामले में चिदम्बरम की भूमिका बताने वाली अपने मंत्रालय की टिप्पणी के बारे में मनमोहन सिंह को जानकारी दी।

प्रधानमंत्री के साथ मुखर्जी की बैठक 45 मिनट तक चली। बैठक के बाद होटल में जल्दबाजी में बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में मुखर्जी ने भारतीय पत्रकारों से पूछा, “जबतक मैं केंद्रीय कानून मंत्री से इस मसले पर बात नहीं कर लेता, जबतक मैं केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम से चर्चा नहीं कर लेता और जबतक मैं पार्टी के अन्य नेताओं से विचार-विमर्श और प्रासंगिक सभी दस्तावेजों को देख नहीं लेता तबतक मैं कौन सा बयान दूंगा?”

उद्वेलित मुखर्जी ने कहा, “और मुझे एक घरेलू मुद्दे पर विदेश में बयान क्यों देना चाहिए? क्या मेरा यहां बयान देना उचित है। मैं कोई वकील नहीं हूं। मुझे इस पर विशेषज्ञों की राय लेनी है। इसके पहले इस मामले में किसी प्रकार की टिप्पणी करना मेरे लिए उचित नहीं होगा।”

ज्ञात हो कि न्यूयार्क पहुंचने के बाद मुखर्जी ने भारतीय पत्रकारों से बात करने से इंकार कर दिया। इसका हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “आप सभी लोग शनिवार को मुझसे मिलना चाहते थे और मैं उस समय आप लोगों से नहीं मिला। उसके पीछे यही कारण था।”

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को जो टिप्पणी भेजी गई है उसमें कहा गया है कि वर्ष 2008 में केंद्रीय वित्त मंत्री रहे चिदम्बरम यदि चाहते तो 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन की नीलामी हो सकती थी और राजस्व को पहुंचे हजारों करोड़ रुपये के नुकसान से बचा जा सकता था।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय की यह टिप्पणी सूचना का अधिकार के तहत सार्वजनिक हुई है। मंत्रालय के एक उप सचिव द्वारा तैयार की गई इस टिप्पणी को गत 25 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया और यह टिप्पणी भेजे जाने से पहले मुखर्जी को दिखाई गई थी।

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here