नई दिल्ली ।। देश के शीर्ष सरकारी लेखा परीक्षक विनोद राय मंगलवार को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष गवाही के लिए पेश हो रहे हैं। इसके एक दिन पहले उनके पूर्व सहयोगी ने जेपीसी के समक्ष अपनी गवाही में विवादास्पद 2जी रपट को यह कहते हुए कटघरे में खड़ा कर दिया था कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपये नुकसान का अनुमान केवल ‘गणितीय अनुमान’ है।

राय से भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अंदर विचारों में मतभेद के बारे में पूछा जाएगा। क्योंकि 2जी मामले के प्रमुख लेखा परीक्षकों में से एक आर.पी. सिंह ने जेपीसी के समक्ष कहा है कि दुर्लभ रेडियो तरंगों की बिक्री से केवल 2,645 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

सिंह उस समय डॉक एवं दूरसंचार की आडिट के महानिदेशक थे। वह 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने जेपीसी के समक्ष कहा कि एक मसौदा आडिट रपट में उनका अनुमान सात वर्षो की महंगाई दर पर आधारित था, क्योंकि 2001 में निर्धारित किया गया प्रवेश शुल्क 2008 में बढ़ाया नहीं गया था।

लेकिन अंतिम आडिट रपट में 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया है। इसे इस आधार पर अनुमानित नुकसान बताया गया है कि दुर्लभ दूरसंचार स्पेक्ट्रम की नीलामी की जानी चाहिए थी।

जेपीसी के समक्ष राय की गवाही महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह सम्भवत: सिंह की गवाही का जवाब देंगे। सिंह ने सोमवार को यह भी आरोप लगाया था कि उन्हें अंतिम रपट पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था, जबकि वह उसकी अधिकांश सामग्री से असहमत थे।

सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि राय ने जेपीसी से आग्रह किया है कि जब वह अपनी गवाही दें तो उस समय सिंह को भी वहां मौजूद रखा जाए।

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