हैदराबाद ।। आंध्र प्रदेश के 56वें स्थापना दिवस पर मंगलवार को तेलंगना क्षेत्र में जबरदस्त विरोध-प्रदर्शन हुए। अलग तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर पहले से ही आंदोलनरत प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह काले झंडे दिखाए और इसे ‘काला दिवस’ करार दिया।

प्रदर्शनकारियों के उग्र तेवर को देखते हुए मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी के साथ राज्य सरकार के केवल दो मंत्रियों ने इस अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में शिरकत की, जबकि तेलंगाना क्षेत्र के लगभग सभी मंत्री ऐसे कार्यक्रमों से दूर रहे।

मुख्य आधिकारिक समारोह कड़ी सुरक्षा के बीच हैदराबाद के एनटीआर स्टेडियम में हुआ। मुख्यमंत्री रेड्डी ने इस अवसर पर राष्ट्रध्वज फहराया और परेड की सलामी ली। उन्होंने पुलिसकर्मियों एवं अन्य अधिकारियों को पुरस्कृत भी किया।

मुख्यमंत्री ने बुलेट प्रूफ मंच से लोगों को सम्बोधित किया। किसी मुख्यमंत्री ने ऐसा पहली बार किया है। मुख्यमंत्री के साथ दो अन्य मंत्रियों डी. नागेंद्र और मुकेश गौड़ ने इस कार्यक्रम में शिरकत की।

विभिन्न जिलों में जिला अधिकारियों ने जिला मुख्यालयों में कड़ी सुरक्षा के बीच राष्ट्र ध्वज फहराया।

वहीं, तेलंगाना संयुक्त कार्य समिति (जेएसी) के नेतृत्व में तेलंगाना क्षेत्र के लोगों ने इसे ‘विश्वासघात दिवस अथवा काले दिवस’ के रूप में मनाया। प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह प्रदर्शन किए और निजी तथा सरकारी इमारतों पर काले झंडे फहराए।

वारंगल के जिला मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उस वक्त तनाव की स्थिति पैदा हो गई, जब तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायक विनय भास्कर ने समर्थकों के साथ समारोह स्थल पहुंचकर माइक फेंक दिया और मंच से बैनर हटाकर फेंक दिया। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया, जिसमें विधायक अचेत हो गए।

आंदोलन का विरोध एक नवम्बर, 1956 को तेलंगाना क्षेत्र को आंध्र प्रदेश के साथ मिलाने को लेकर है। हैदराबाद सहित 10 जिलों वाले तेलंगाना क्षेत्र को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर पिछले कुछ महीने से जेएसी के नेतृत्व में आंदोलन हो रहा है।

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