नई दिल्ली ।। भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी लोकपाल की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे समाजसेवी अन्ना हजारे ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए चेतावनी दी कि यदि शीतकालीन सत्र में लोकपाल विधेयक पारित नहीं हुआ तो वह पांच राज्यों में होने वाले चुनावों के दौरान कांग्रेस के खिलाफ खुलकर प्रचार करेंगे।
अन्ना ने कहा कि सख्त लोकपाल विधेयक बनाने के मुद्दे पर सरकार की नीयत साफ नहीं है। वह लोकपाल को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, “ऐसा लग रहा है कि सरकार की सख्त लोकपाल बनाने की मंशा ही नहीं है। वह जन लोकपाल विधेयक के महत्वपूर्ण प्रावधानों को अलग-अलग कर उसे कमजोर करना चाहती है।”
उन्होंने ने कहा, “हिसार लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने के बाद हमने कहा था कि पांच राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान वह किसी भी पार्टी का नाम नहीं लेंगे लेकिन अब सरकार की नीयत को देखकर ऐसा लगता है कि वह सख्त लोकपाल नहीं चाहती।”
अन्ना ने कहा, “हमने फैसला किया है कि यदि सख्त लोकपाल विधेयक शीतकालीन सत्र में पारित नहीं हुआ तो विधानसभा चुनावों में वह कांग्रेस के खिलाफ खुलकर प्रचार करेंगे और उसकी मंशा के बारे में आम लोगों को बताएंगे।”
अन्ना ने कहा कि शीतकालीन सत्र में विधेयक पास नहीं होने पर वह दिल्ली में तीन दिनों का अनशन शुरू करेंगे और उसके बाद चुनावी राज्यों का दौरा कर सरकार की नीयत के बारे में लोगों को बताएंगे।
अन्ना ने साथ ही यह भी कहा कि उत्तराखण्ड सरकार ने जो लोकपाल विधेयक पारित किया है उसी को रोल मॉडल मानते हुए सरकार प्रभावी लोकपाल विधेयक बनाए। अन्ना ने उत्तराखण्ड में पारित किए गए लोकपाल विधेयक की प्रशंसा करते हुए कहा कि वहां तीन महीने के भीतर ही लोगों को इसका लाभ दिखने लगेगा।
अन्ना ने कहा कि देश में मंहगाई भ्रष्टाचार की वजह से बढ़ रही है। सरकार उद्योगपतियों और बड़ी कम्पनियों के हाथों बिक चुकी है। उसे आम जनता से कोई लेना देना नहीं है।
इससे पहले अन्ना अपने गांव रालेगण सिद्धि से गुरुवार रात को ही दिल्ली पहुंच गए थे। अन्ना सुबह करीब सात बजे राजघाट पहुंचे और ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के उद्घोष के साथ ही अपना मौन व्रत तोड़ दिया। वह 16 अक्टूबर से ही मौन व्रत पर थे।उल्लेखनीय है कि अन्ना ने कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे एक पत्र में चेतावनी दी थी कि यदि शीतकालीन सत्र में एक प्रभावी लोकपाल विधेयक नहीं पारित किया गया तो वह सत्र के अंतिम दिन से दोबारा अनशन शुरू कर देंगे।