नई दिल्ली ।। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी ने संसद के शीतकालीन सत्र में लोकपाल विधेयक को पारित कराने के लिए दबाव बनाने के मकसद से मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अरुण जेटली से मुलाकात की।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष, जेटली से मुलाकात के बाद संसद के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में केजरीवाल ने कहा, “हम स्थायी समिति के सभी सदस्यों से बारी-बारी से मुलाकात कर रहे हैं और आज हमने अरुण जेटली से मुलाकात की।”

अन्ना पक्ष लोकपाल विधेयक को जल्द पारित करने की कोशिश कर रहा है। यह विधेयक देश में भ्रष्टाचार समाप्त करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। स्थायी समिति विधेयक का परीक्षण कर रही है, जो सात दिसम्बर तक अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है।

केजरीवाल ने कहा, “एक सवाल यह उठ रहा है कि समूह-सी और समूह-डी के अधिकारियों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखा जा रहा है। हम उनसे पूछते हैं कि यदि आप 57 लाख सरकारी कर्मचारियों को लोकपाल से बाहर रखते हैं, और इस तरह उन्हें भ्रष्टाचार करने की छूट देते हैं, तो आम आदमी जिसे राशन नहीं मिलता वह कहां शिकायत करेगा।”

ऐसी खबरें आई हैं कि स्थायी समिति ने केंद्र सरकार के समूह-बी के कर्मचारियों को लोकपाल के दायरे में रखने की सिफारिश की है, लेकिन समूह-सी और समूह-डी को बाहर रखने की। समूह-ए को विधेयक के दायरे में शुरू से रखा गया है। 

खबरों में यह भी कहा गया है कि न्यायपालिका, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और सिटिजन चार्टर को भी लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है। 

केजरीवाल ने कहा, “यदि आप सीबीआई को लोकपाल के दायरे में नहीं लाते हैं तो लोकपाल एक डाक घर बन कर रह जाएगा। यदि लोकपाल के कर्तव्य सिर्फ सीबीआई से मिली जांच रपटों को न्यायालयों को भेजने तक सीमित हो गया, तो हम ऐसा लोकपाल नहीं चाहते।”

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