नई दिल्ली, Hindi7.com ।। लाल किले पर हुए हमले के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ की फांसी की सजा बरकरार रखी है। मोहम्मद आरिफ लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ आतंकवादी है। लाल किले पर 22 दिसंबर 2000 की रात हुए हमले के मामले में अभियुक्त मोहम्मद आरिफ की सजा कम करने की याचिका ठुकरा दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी आरिफ ऊर्फ अशफाक को दोषी पाया है। इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा के छह आतंकवादी शामिल थे। इन्होंने लालकिले के अंदर घुस कर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस हमले में राजपूताना रायफल्स के दो जवान और एक अन्य की मौत हो गई थी।

हमले के ठीक बाद दिल्ली पुलिस ने जामिया नगर में हुए मुठभेड़ में मोहम्मद आरिफ और उसकी पत्नी रहमाना यूसुफ फारूकी को गिरफ्तार किया था। 31 अक्तूबर 2005 को निचली अदालत ने मोहम्मद आरिफ को मौत की सजा सुनाई थी और उसकी पत्नी को सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी।

आरिफ के दो और सहयोगी नजीर अहम कासिब और फारूक अहमद कासिब को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। निचली अदालत ने तीन और अभियुक्तों को सात साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और चार को रिहा कर दिया था। इसके बाद आरोपियों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने 13 सितंबर 2007 को आरिफ की सजा बरकरार रखी थी और छह अन्य को बरी कर दिया था।

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