बेंगलुरू ।। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता एक दशक पुराने आय से ज्ञात स्रोतों से अधिक सम्पत्ति के मामले में अपना बयान देने के लिए गुरुवार को अंतत: यहां एक अदालत में पेश हुईं।

स्वतंत्र एवं निष्पक्ष सुनवाई के लिए मामले को चेन्नई से बेंगलुरू स्थानांतरित किए जाने के लगभग आठ साल बाद जयललिता पहली बार अदालत में पेश हुई हैं।

जयललिता पर 1991 से 1996 के बीच 66 करोड़ रुपये जमा करने का आरोप है। उस समय वह तमिलनाडु की मुख्यमंत्री थीं।

जयललिता के कुछ ही वकीलों को विशेष न्यायाधीश बी.एम. मल्लिकार्जुनैया की अदालत के अंदर जाने की अनुमति दी गई। सुरक्षा कारणों से सुनवाई बेंगलुरू केंद्रीय कारागार परिसर में आयोजित की गई है। जयललिता को जैड-प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है।

वह शहर के मध्य स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के हवाईअड्डे पर उतरीं और पूर्वी उपनगर पारप्पना अग्रहारा में स्थित जेल परिसर के लिए रवाना हो गई।

जयललिता ने रास्ते में सड़क किनारे खड़े जिज्ञासु दर्शकों को नमस्ते कहकर और मुस्कुराकर उनका अभिवादन किया।

ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने जयललिता को बेंगलुरू में निजीतौर पर अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। जयललिता ने सुरक्षा चिंताओं और मुख्यमंत्री के नाते अपने व्यस्त कार्यक्रम का हवाला देते हुए व्यक्तिगत पेशी से छूट मांगी थी।

लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपना बयान देने की अनुमति मांगी थी।

इस सुनवाई के कारण परप्पना अग्रहारा जेल के लिए सुरक्षा के भारी बंदोबस्त किए गए हैं। बेंगलुरू पुलिस के लगभग 1,500 जवानों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही बुधवार देर शाम से जेल परिसर के 500 मीटर के दायरे में पांच या इससे अधिक व्यक्तियों के एक साथ जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

यह निषेधाज्ञा तबतक लागू रहेगी, जबतक कि जयललिता अपना बयान देकर वापस चेन्नई के लिए रवाना नहीं हो जातीं।

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