नई दिल्ली ।। सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात के निलम्बित पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर हिरासत में मौत होने से सम्बद्ध एक मामले में राज्य सरकार के पुनर्विचार याचिका वापस लेने के आदेश को पलटे जाने की मांग की थी।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बी. एस. चौहान तथा न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर की खंडपीठ ने हालांकि उन्हें अपनी याचिका वापस लेने और गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष स्वतंत्र रूप से पुनर्विचार याचिका दायर करने की छूट दी।

वर्ष 1990 में जामनगर जिले में एक प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया था। भट्ट उस वक्त वहां अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक थे। प्रदर्शनकारियों की रिहाई के बाद उनमें से एक को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां आठ दिन बाद उसकी मौत हो गई।

राज्य अपराध अंवेषण विभाग (सीआईडी) की अपराध शाखा शाखा ने मामले की जांच की और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी भट्ट तथा अन्य पुलिस कर्मियों को इस मामले में क्लीन चिट दी। लेकिन मजिस्ट्रेट ने अपराध शाखा की रिपोर्ट स्वीकार नहीं की और भट्ट तथा अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू कर दी।

इसके बाद गुजरात सरकार ने अदालत में कहा कि उसके अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह किया। सरकार ने 1996 में इस संदर्भ में सत्र अदालत में पुनर्विचार याचिका भी दायर की थी। लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया।

भट्ट का आरोप है कि सरकार उन्हें निशाना बनाने के लिए ऐसा कर रही है, क्योंकि 2002 के गुजरात दंगों को लेकर उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर उंगली उठाई है।

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