नई दिल्ली ।। भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] ने शनिवार को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद द्वारा तैयार साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम [न्याय एवं क्षतिपूर्ति] विधेयक 2011 पर यह कहते हुए कड़ी आपत्ति उठाई कि यह हिंदू समुदाय के विरुद्ध है।
राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि पार्टी के तीन मुख्यमंत्री इस विधेयक के मुखर विरोधियों में शामिल हैं।
उन्होंने कहा, “हमने साम्प्रदायिक हिंसा विधेयक का विरोध किया है, क्योंकि यह साम्प्रदायिक तनाव को नियंत्रित करने के बजाय उसे केवल भड़काएगा।”
स्वराज ने कहा, “यह विधेयक देश को बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक में बांटता है। इस विधेयक का आकलन है कि बहुसंख्यक उत्पात मचाते हैं और बहुसंख्यक पीड़ित होते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह विधेयक देश के संघीय ढांचे पर हमला है, क्योंकि कानून एवं व्यवस्था बनाए रखना सरकार का दायित्व है।
ज्ञात हो कि इस विधेयक का विरोध करने वालों में भाजपा के तीन मुख्यमंत्री- कर्नाटक के डी.वी. सदानंद गौड़ा, मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान एवं उत्तराखण्ड के रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ शामिल हैं।
स्वराज ने कहा कि चर्चा के लिए आतंकवाद और नक्सली हिंसा कहीं अधिक प्रासंगिक मुद्दा है।
उन्होंने कहा, “दो महीने में आतंकवाद की दो बड़ी घटनाएं मुम्बई और दिल्ली में हो चुकी हैं..नक्सलवाद से जुड़ी घटनाएं लगातार हो रही हैं।”
स्वराज ने कहा कि राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक प्रत्येक वर्ष होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक तीन साल बाद हुई है..यह बैठक प्रत्येक वर्ष होनी चाहिए, ताकि परिषद एक प्रभावी संस्था की तरह कार्य कर सके।”