कान ।। फ्रांस के शहर कान में जी20 सम्मेलन में भाग लेने आए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि विदेशों में जमा काला धन को वापस देश में लाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि जी20 नेताओं ने इससे सम्बद्ध प्रक्रिया का समर्थन किया है।

जी20 सम्मेलन के समापन के तुरंत बाद प्रधानमंत्री एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे जिसमें उनसे पूछा गया था कि काला धन वापस लाने में कितना वक्त लगेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूं। हमें एक विश्व व्यवस्था के तहत चलना होता है जिसमें सभी चीजें हमारे मनमुताबिक नहीं होतीं। हम सम्प्रभु राष्ट्रों के साथ बात आगे बढ़ा रहे हैं।”

उन्होंने कहा कि कोई संप्रभु राष्ट्र उस हद तक ही सहयोग कर सकता है जहां तक उस संबद्ध देश का का कानून उसे इजाजत देता है। इसके लिए विभिन्न देशों के साथ संधियां और समझौते किए गए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “यह अभी प्रक्रिया में है। मुझे नहीं पता कि कितना काला धन विदेशों में जमा है।”

जी20 सम्मेलन में नेताओं ने एक संयुक्त विज्ञप्ति के जरिये इस बात का समर्थन किया और प्रतिबद्धता जताई कि किसी अधिकार क्षेत्र में त्रुटि की वजह से (इन देशों को कर बचाने के लिए पनाहगाह भी कहा जाता है) अगर अविवेकपूर्ण कर ढांचा है तो उस मामले पर विचार किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं विशेषकर इस बात से खुश हूं कि संयुक्त विज्ञप्ति में हमारे आह्वान को शामिल किया गया। हमने बैंकिंग पारदर्शिता, कर धोखाधड़ी पर कार्रवाई के लिए सूचना का आदान-प्रदान और अन्य अवैध लेनदेन को प्रमुखता से उठाया था। यह हमारी ओर से महत्वपूर्ण एजेंडा था।”

भारत ने जी20 सम्मेलन में काला धन के खिलाफ संघर्ष में अपनी वैश्विक भागेदारी की प्रतिबद्धता जताई है। उसने सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए जल्द ही कर मामले से सम्बद्ध आपसी प्रसाशनिक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करने की बात कही है।

इस संधि के जरिये अवैध लेन-देन के संबंध में स्वचालित तरीके से स्वत: ही सम्बद्ध देश को सूचना मुहैया करा दी जाएगी। अर्जेटीना, ब्राजील, जर्मनी, रूस सहित 10 देशों ने इस संधि पर गुरुवार को ही हस्ताक्षर कर दिए जबकि ब्रिटेन और अमेरिका के साथ छह देशों ने पहले ही इस संधि पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। चीन और सऊदी अरब ने भी जल्द ही इस संधि पर हस्ताक्षर करने की बात कही है।

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