नई दिल्ली ।। काले धन के मुद्दे पर संसद में दिन भरी चली चर्चा और विपक्ष की तीखी आलोचना के बीच सरकार ने बुधवार को कहा कि वह काले धन पर श्वेत पत्र लाएगी। सरकार ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय करारों से बंधे होने के चलते वह विदेशी बैंकों में भारतीय खाताधारकों के नाम सार्वजनिक नहीं कर सकती।

सरकार ने यह भी कहा कि काले धन की जो उसे सूची मिली है उसमें किसी सांसद का नाम नहीं है। जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह काले धन के मुद्दे पर गम्भीर नहीं है। पार्टी ने विदेशी बैंकों में भारतीय खाताधारकों के नाम सार्वजनिक करने की मांग की।

भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा लोकसभा में लाए गए स्थगन प्रस्ताव के बाद चर्चा का जवाब देते हुए मुखर्जी ने कहा, “हां, विदेशी बैंकों में काला धन जमा है। सरकार काला धन स्वदेश लाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है।” इसके बाद स्थगन प्रस्ताव ध्वनि मत से नामंजूर कर दिया गया।

विपक्ष द्वारा यह मांग किए जाने पर कि सरकार ने काले धन के मुद्दे पर अब तक जो कदम उठाएं हैं, उसकी वह प्रामाणिक जानकारी उनके साथ साझा करे। इस पर केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सदन से वादा किया कि सरकार काले धन पर श्वेत पत्र लाएगी।

मुखर्जी ने काले धन के मुद्दे पर विपक्ष की ‘नाकामी’ के आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि विदेशों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के जो नाम सरकार को प्राप्त हुए हैं उसे वह साझा नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि नाम सार्वजनिक करने की जगह सरकार अवैध खातों के बारे में जांच करना पसंद करेगी।

ज्ञात हो कि संसद में काले धन पर चर्चा करीब छह घंटे चली और विपक्ष ने गैर अधिकारिक रपटों के हवाले से बताया कि विदेशी बैंकों में 25 लाख करोड़ रुपये जमा हैं।

इस पर मुखर्जी ने कहा कि विदेशी बैंकों में कितना काला धन जमा है इसके बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है लेकिन अपुष्ट आंकड़ों के मुताबिक यह राशि 450 अरब डॉलर से लेकर करीब 15 खरब के बीच है।

मुखर्जी ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय प्रबंधन वित्तीय संस्थान (एनआईएफएम) और राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) से काले धन की प्रामाणिक और आधिकारिक आकलन करने के लिए कहा है।

वहीं, काले धन पर सरकार को घरेते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सरकार से 780 से अधिक ऐसे भारतीय नागरिकों के नाम जाहिर करने की मांग की जिन्होंने अपना धन विदेशी बैंकों में जमा कर रखा है।

अपने स्थगन प्रस्ताव पर आडवाणी ने कहा, “संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार 782 कर चोरों के नाम छुपा रही है।”

आडवाणी ने मुखर्जी की ओर इशारा करते हुए कहा, “मैं बहस के बाद आपका आश्वासन और आपसे एक शपथ चाहता हूं कि आप कर चोरों के नाम जाहिर करेंगे। सदन को विश्वास दिलाएं, देश को विश्वास दिलाएं कि आप विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाएंगे।”

आडवाणी ने कहा, “भारतीयों ने स्विस बैंकों में 25 लाख करोड़ रुपये काला धन जमा कर रखा है।” इस संदर्भ में उन्होंने ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी की एक रपट का हवाला दिया।

आडवाणी ने कहा कि स्थगन प्रस्ताव ने सरकार की विफलता को रेखांकित किया है, जबकि नोटिस के शब्दों को बदल कर हल्का कर दिया गया।

आडवाणी ने कहा, “यह सरकार की विफलता है। आपको इसे स्वीकार करना होगा। हम चाहते हैं कि सरकार काले धन पर जल्द से जल्द एक श्वेत पत्र प्रकाशित करे।”

आडवाणी ने कहा, “मैं केंद्रीय वित्त मंत्री से कहना चाहूंगा कि काला धन वापस लाएं, जिसे देश के छह लाख से अधिक गांवों के विकास में इस्तेमाल किया जाए।”

कांग्रेस के मनीष तिवारी ने हालांकि आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि काले धन का मुद्दा संप्रग सरकार की उपज नहीं है।

तिवारी ने कहा, “मैं राजग सदस्यों द्वारा इस बात का हलफनामा देने के लिए प्रशंसा करता हूं कि उन्होंने विदेशी बैंकों में काला धन नहीं जमा किया है। उन्हें इसी तरह का हलफनामा देशी बैंकों के लिए भी देना चाहिए।” तिवारी ने पूछा कि क्या भारत और विदेश में जमा काले धन में कोई फर्क है।

तिवारी ने कहा, “यह कहना गलत है कि काले धन की समस्या संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने पैदा की है। यह एक कानूनी मुद्दा है।”

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता बासुदेब आचार्य ने कहा कि सरकार की नव-उदारवादी नीतियां काले धन के प्रसार के लिए जिम्मेदार हैं।

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