नई दिल्ली ।। सर्वोच्च न्यायालय से बुधवार को कहा गया कि टाइगर मेमन की करतूत का खामियाजा उसके भाई याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन को भुगतने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। उसे 1993 में मुम्बई में सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में मौत की सजा सुनाई गई है।
न्यायमूर्ति पी. सतशिवम और न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान की पीठ से याकूब मेमन ने कहा, “वह (टाइगर मेमन) तस्कर है। मैं चार्टर्ड एकाउंटेंट हूं। मैंने अपना जीवन अलग बनाया है।” टाइगर मेमन विस्फोट के बाद से ही फरार है।
याकूब मेमन के वकील जसपाल सिंह ने कहा, “मैं नमाजी नहीं हूं। वह (टाइगर मेमन) नमाजी है। पता नहीं वह किस किस्म का नमाजी है। उसकी गतिविधियां इस्लाम के पूरी तरह खिलाफ हैं।”
सर्वोच्च न्यायालय महाराष्ट्र सरकार और दोषी की याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है। याचिका में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई है।
मुम्बई विस्फोट मामले में 100 लोगों को दोषी ठहराया गया है। इनमें से 12 को मौत की सजा सुनाई गई है, 23 को बरी कर दिया गया है और 44 फरार हैं। फरार दोषियों में टाइगर मेमन भी शामिल है।
टाइगर मेमन की गतिविधियों से खुद को अलग करते हुए याकूब मेमन ने कहा कि अभियुक्त से गवाह बने मो. उस्मान अहमद जन खान के बयानों को उनके खिलाफ नहीं माना जा सकता है, क्योंकि उनके बयान संगत नहीं है।
अदालत से कहा गया था कि खान अपने बयान से मुकर गया था और उसने कहा था कि पुलिस ने उसका उत्पीड़न किया और याकूब मेमन के खिलाफ बयान देने के लिए मजबूर किया था।
खान को माफी दिए जाने को गलत ठहराते हुए वकील ने एक कानून का हवाला देते हुए कहा कि इस मामले में अभियुक्त से गवाह बनने वाले को माफी नहीं दी जा सकती।
सुनवाई गुरुवार को भी चलेगी।