नई दिल्ली, Hindi7.com ।। कैग की रिपोर्ट में पीएमओ और शीला दीक्षित की दिल्ली सरकार पर तो गंभीर आरोप लगाये ही गये हैं, इसके अलावा इस रिपोर्ट ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को भी अपने लपेटे में ले लिया है। गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान रेलवे का कायाकल्प करने और उसके खाते में जबर्दस्त मुनाफा दिखाया था, लेकिन कैग की रिपोर्ट में इसके उलट दावे किये गये हैं। पेश किये गये रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल मंत्री द्वारा दिखाया गया मुनाफा केवल आंकड़ों का खेल भर था।

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, कैश और निवेश के लिए उपलब्ध कैश का स्टेटमेंट जारी करके लालू ने रेल मंत्रालय की खूबसूरत तस्वीर पेश की। रिपोर्ट के मुताबिक, हिसाब-किताब के इसी तरीके के आधार पर लालू ने 2004-2005 और 2008-2009 के बीच कैश एंड इन्वेस्टीबल सरप्लस के तौर पर 88,669 करोड़ रुपये का आंकड़ा दिखाया, जबकि वास्तविकता में उस दौरान रेवेन्यू सरप्लस 34,506 रुपये ही था। लालू बतौर रेल मंत्री इन्हीं आंकड़ों के दम पर अपने कार्यकाल को शानदार बताते रहे हैं। वह बड़े-बड़े संस्थानों में मैनेजमेंट गुरु की हैसियत से जाते रहे हैं और रेल के कायापलट की कहानी सबको बताते रहे हैं। अब कैग की रिपोर्ट से लालू के दावों की पोल खुल गई है।

पिछले साल अक्टूबर में हुए 19वें राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन पर हुई फिजूलखर्ची और अनियमितता के लिए कैग की रिपोर्ट ने दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार को दोषी करार दिया है। इस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री कार्यालय [पीएमओ] को भी अनियमितता और पक्षपात करने के लिए दोषी ठहराया है। सुरेश कलमाड़ी को आयोजन समिति का अध्यक्ष बनाये जाने पर कैग ने पीएमओ को कठघरे में खड़ा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2004 में खेल मंत्रालय की आपत्ति के बावजूद पीएमओ ने कलमाड़ी को आयोजन समिति का अध्यक्ष बनाया, जो नियमों का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन था।

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई कैग रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन घोटाले में नए केस दर्ज करेगी। संभव है शीला को भी आरोपी बनाया जाय।

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