नई दिल्ली ।। दिल्ली पुलिस ने बुधवार को वर्ष 2008 के वोट के लिए नोट मामले में आरोपी राज्यसभा के सांसद और समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व नेता अमर सिंह की अंतरिम एवं नियमित जमानत याचिकाओं का विरोध नहीं किया जबकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने जमानत अर्जियों पर अपना फैसला 24 अक्टूबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया।
न्यायाधीश सुरेश कैती ने कहा, “जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा जाता है। जमानत याचिकाओं पर फैसला सोमवार को सुनाया जाएगा।”
ज्ञात हो कि दिल्ली पुलिस ने न्यायालय के समक्ष अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की रिपोर्ट सौंपी जिसमें कहा गया कि सांसद की हालत गम्भीर है और उन्हें लगातार चिकित्सकीय निगरानी में रखे जाने की जरूरत है। इसके बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया।
वहीं, दिल्ली पुलिस के अधिवक्ता ने कहा, “हम एम्स की रिपोर्ट पर आपत्ति नहीं कर सकते।” अधिवक्ता ने कहा कि अमर सिंह ने मामले में अपना बयान दर्ज कराया है इसलिए उनकी चिकित्सा हालत को ध्यान में रखते हुए दिल्ली पुलिस को अब उनकी हिरासत की जरूरत नहीं है।
पुलिस ने कहा कि मामले में जांच पूरी हो गई है और निचली अदालत के समक्ष केवल अंतिम रिपोर्ट दाखिल करनी है।
दिल्ली पुलिस जो पहले अमर सिंह की जमानत याचिका का विरोध कर चुकी है, इस बार अपने रुख से पलटती दिखी और न्यायाधीश कैत से कहा कि सांसद की पृष्ठभूमि साफ-सुथरी है क्योंकि उन्होंने गवाहों को कभी भी प्रभावित करने की कोशिश नहीं की।
पुलिस के अधिवक्ता ने कहा कि यदि सांसद रिहा होने के बाद देश से बाहर न जाने और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ न करने पर सहमत होते हैं तो उन्हें जमानत दी जा सकती है।
एम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमर सिंह के ‘गुर्दे में संक्रमण न हो इसलिए उन्हें लगातार चिकित्सकीय निगरानी में रखे जाने की जरूरत है।’ रिपोर्ट के मुताबिक सांसद धमनी एवं श्वास सम्बंधी बीमारी से भी ग्रस्त हैं।
उल्लेखनीय है कि अमर सिंह को गत छह सितम्बर को गिरफ्तार किया गया। सिंह पर आरोप है कि उन्होंने जुलाई 2008 में लोकसभा के विश्वास प्रस्ताव से पहले सांसदों को रिश्वत देने का प्रयास किया।
वहीं, वोट के लिए नोट मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत ने सोमवार को पुलिस से मामले में सपा के सांसद रेवती रमण सिंह को आरोपी बनाने के लिए कहा। अदालत ने कहा कि इस बात के पर्याप्त दस्तावेज हैं जो यह बताते हैं कि वह आपराधिक साजिश का हिस्सा थे।