नई दिल्ली ।। वोट के लिए नोट मामले में आरोपपत्र दाखिल किए जाने के अगले दिन गुरुवार को यहां की एक अदालत ने राज्यसभा सदस्य एवं समाजवादी पार्टी के पूर्व महासचिव अमर सिंह सहित चार लोगों को सम्मन भेजकर उन्हें छह सितम्बर को पेश होने का निर्देश दिया है। यह मामला वर्ष 2008 में विश्वास मत के दौरान संसद में हुए हंगामे से जुड़ा हुआ है।

विशेष न्यायाधीश संगीता ढींगरा सहगल ने अमर सिंह, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसदों फग्गन सिंह कुलस्ते, महावीर भगोरा और भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के पूर्व सहयोगी सुधींद्र कुलकर्णी के विरुद्ध सम्मन जारी किया।

दिल्ली पुलिस की याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि “सभी चार आरोपियों को सम्मन भेजकर उन्हें छह सितम्बर को सुबह 10 बजे सुनवाई का सामना करने को कहा गया है।”

गौरतलब है कि अमर सिंह के पूर्व सहयोगी संजीव सक्सेना और बिचौलिया सुहैल हिंदुस्तानी पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं। छह सितम्बर की कार्यवाही में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इनके ऊपर भी वारंट जारी किए गए हैं।

न्यायाधीश ने कहा कि “सुहैल और सक्सेना पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं। वे आरोप पत्र में उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर सुनवाई का सामना करेंगे।” अदालत सक्सेना की जमानत याचिका पर छह सितम्बर को सुनवाई करेगी।

बचाव पक्ष के वकील संतोष पांडे ने आरोपपत्र पर सुनवाई के लिए समय की मांग करते हुए कहा कि “दिल्ली पुलिस दो सितम्बर तक सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगी। ऐसे में मैं अदालत से दरख्वास्त करता हूं कि वह इसके बाद ही सुनवाई की तारीख मुकर्रर करे।” हिंदुस्तानी के वकील उनकी जमानत याचिका पर शुक्रवार को बहस करेंगे।

अदालत ने जब पुलिस से पूछा कि अन्य चार आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई, तब सरकारी वकील राजीव मोहन ने कहा कि “इन चार आरोपियों के खिलाफ हमारे पास सीधे तौर पर कोई सबूत नहीं है, इसलिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है।” उन्होंने कहा कि “हम चाहते हैं कि अदालत उन चारों के खिलाफ सम्मन जारी करे, जिनके नाम आरोपपत्र में अंकित हैं।”

पुलिस ने 80 पृष्ठों के आरोपपत्र में कुलकर्णी का नाम प्रकरण के ‘मास्टरमाइंड’ रूप में अंकित किया है। आरोपपत्र में दावा किया गया है कि “कुलकर्णी शुरू से अंत तक अन्य षड्यंत्रकारियों के सम्पर्क में रहे और उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। वे इस प्रकरण के मास्टरमाइंड हैं। जब वास्तविक रूप से भाजपा सांसदों को रिश्वत के तौर पर रुपये दिए गए, उस वक्त वह घटनास्थल पर मौजूद थे।”

आरोपपत्र में कहा गया है कि जांच के दौरान ‘पर्याप्त सबूत’ दर्ज किया गया, जो दर्शाता है कि एक करोड़ रुपये अवैध रूप से बांटने के लिए 22 जुलाई 2008 की सुबह अमर सिंह ने अपने सचिव संजीव सक्सेना के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचा।

ज्ञात हो कि 22 जुलाई 2008 को तीन भाजपा सांसदों ने विश्वास मत से पूर्व लोकसभा में नोटों की गड्डियां लहराई थीं और आरोप लगाया था कि उन्हें ये नोट मनमोहन सिंह सरकार के पक्ष में मतदान करने के लिए दिए गए थे।

पुलिस ने अमर सिंह के खिलाफ आरोपपत्र तैयार करने से पहले राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी से अनुमति ली थी, जबकि भाजपा के वर्तमान सांसद अशोक अर्गल के खिलाफ आरोपपत्र तैयार करने से पहले लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को पत्र भेजा था।

यह मामला इस प्रकरण की जांच करने वाली संसदीय समिति की अनुशंसा पर 2009 में दर्ज किया गया था। उल्लेखनीय है कि भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के मुद्दे पर वामदलों द्वारा समर्थन वापस ले लिए जाने के कारण मनमोहन सरकार के लिए विश्वास मत हासिल करना आवश्यक हो गया था।

पुलिस ने बताया कि इस मामले में सीएनएन-आईबीएन प्रमुख राजदीप सरदेसाई सहित 54 गवाह हैं।

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