मुम्बई ।। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में पृथ्वीराज चव्हाण का एक वर्ष का कार्यकाल तमाम गतिरोधों के बीच शुकवार को पूरा हो गया। चव्हाण के बारे में आम धारणा यही है कि अमेरिका शिक्षित इस इंजीनियर ने इस दौरान विवादास्पद फैसलों से परहेज किया एवं संतुलित मार्ग अपनाया।

पिछले वर्ष दक्षिण मुम्बई के कोलाबा की आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला मामले में अशोक चव्हाण का नाम आने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

प्रधानमंत्री कार्यालय में तत्कालीन राज्यमंत्री चव्हाण को कांग्रेस ने देश के सर्वाधिक औद्योगिक राज्य में पार्टी की छवि सुधारने के लिए भेजा।

पिछले हफ्ते शिवसेना ने चव्हाण को राज्य के सबसे कमजोर मुख्यमंत्री का तमगा दिया। राज्य सरकार के मुख्यालय मंत्रालय के अधिकारी ने दावा किया कि 12000 से अधिक फाइलें लम्बित पड़ी हैं।

अपने कार्यकाल के दौरान चव्हाण ने कुछ बड़े निर्णय भी लिए जिसमें से एक फ्लोर स्पेस इंडेक्स एक से बढ़ा कर 1.33 कर दिया गया। मुम्बई के उपनगरीय इलाकों में आवास की समस्या से निपटने के लिए यह कदम उठाया गया था।

इसके अलावा रत्नागिरी में जैतापुर में 9,900 मेगावाट के परमाणु रिएक्टर की स्थापना का निर्णय एवं नवी मुम्बई में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण की अनुमति प्रमुख है। दोनों परियोजनाएं विवादों में घिरी रही हैं।

पुणे के मावल में पुलिस फायरिंग में तीन किसानों के मारे जाने के बाद विपक्ष ने राज्यपाल से मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग तक कर दी थी। कानून एवं व्यवस्था के लिहाज से भी चव्हाण के लिए पिछले एक साल सुखद नहीं थे। मालेगांव के सहायक जिलाधिकारी यशवंत सोनावने को तेल माफियाओं ने मनमाड में जिंदा जला दिया तो दिन में ही मिड-डे के पत्रकार ज्योतिर्मय डे की मुम्बई में हत्या कर दी गई।

आर्थिक मोर्चे पर भी चव्हाण के नेतृत्व को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड की खराब हालत के कारण सरकार को दो प्रशासकों की नियुक्ति करनी पड़ी थी। बैंक के मामलों की जांच की जा रही है।

सितम्बर-अक्टूबर के दौरान राज्य को 4,000 मेगावाट बिजली की किल्लत का सामना करना पड़ा था। हालांकि इसका प्रमुख कारण तेलंगाना आंदोलन है जिसकी वजह से कोयला आपूर्ति ठप्प हो गई थी।

पिछले तीन महीनों के दौरान चव्हाण सरकार को पहले प्याज उत्पादक और फिर कपास उत्पादक और बाद में गन्ना किसानों के आंदोलनों का सामना करना पड़ा था।

महंगाई एवं विपक्ष के आरोपों के मध्य चव्हाण की सबसे बड़ी परीक्षा दिसम्बर से होने वाले निकाय चुनाव हैं।

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