नई दिल्ली ।। केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान को आतंकवाद का गढ़ करार देते हुए गुरुवार को कहा कि दिल्ली और मुम्बई में हुए विस्फोट सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों पर धब्बा हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि भारत को आतंकवाद से निपटने के लिए समग्र नीति की जरूरत है।

चिदम्बरम ने कहा, “दो महीनों में दो आतंकवादी हमले सचमुच हमारे रिकार्ड पर धब्बा हैं। केंद्र सरकार और सुरक्षा बलों की कड़ी आलोचना हुई। हम इन घटनाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी और जायज आलोचना कबूल करते हैं, यह हमारा दायित्व बनता है कि उस संदर्भ को बताएं जिसमें ऐसे हमले होते हैं।”

अखिल भारतीय महानिदेशकों और महानिरीक्षकों के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए चिदम्बरम ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान आतंकवाद के गढ़ हैं और नवम्बर 2008 के मुम्बई हमलों के बाद से आतंकी हमलों से निपटने की क्षमता तैयार करने के लिए कई उपाय किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि अमेरिका सहित दुनिया का कोई भी देश आतंकवाद के खतरे से पूरी तरह महफूज नहीं है। वर्ष 2011 में अगस्त तक, 22 देशों में 279 प्रमुख आतंकवादी घटनाएं हुईं। इराक, पाकिस्तान और अफगानिस्तान इनसे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, “आतंकवाद का गढ़ अफगानिस्तान और पाकिस्तान में है। पांच में चार प्रमुख आतंकवादी संगठन पाकिस्तान से गतिविधियां चलाते हैं और उनमें से तीन लगातार भारत को निशाना बनाना जारी रखे हुए हैं। सीमापार से घुसपैठ के प्रयासों में कोई कमी नहीं आई है।”

उन्होंने कहा कि नेपाल, बांग्लादेश और तो और श्रीलंका के रास्ते तमिलनाडु में भी घुसपैठ के प्रयास हुए हैं।

चिदम्बरम ने कहा कि भारतीय गुटों में कट्टरपंथी समूहों को साथ मिलाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि कुछ गुट इंडियन मुजाहिदीन (आईएम)के साथ जुड़े हैं। प्रतिबंधित संगठन सिमी के बहुत से कार्यकर्ता आईएम के सदस्यों में मिल गए हैं।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद की चुनौती विकट है और उससे निपटने के लिए समग्र रणनीति की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “सितम्बर 2011 के हमलों के बाद अमेरिका ने अल कायदा की पहचान अपनी सुरक्षा के लिए प्रमुख खतरे के तौर पर कर ली और उस पर तथा उसके सहयोगियों के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। इन 10 वर्षो में उसने आंतरिक सुरक्षा विभाग बनाया है और उसके दायरे में 22 एजेंसियों को लाया गया है। इसके तहत उसने दो युद्ध लड़े हैं अन्य देशों में भी सैनिक भेजे हैं।”

उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष एक ही नहीं बल्कि कई खतरे हैं और हमें इनसे निपटना होगा। उन्होंने कहा कि क्षमता निर्माण दिशा में कार्य प्रगति पर है। इसमें समय, धन, मानव संसाधन, प्रौद्योगिकी और देश के हरेक संगठन की क्षमता उपयोग में लाने की जरूरत है।

Rate this post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here