नई दिल्ली ।। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने बुधवार को कहा कि शिकायत निवारण विधेयक-2011 ‘सदन की भावना’ का उल्लंघन है और उनके कार्यकर्ताओं को स्वीकार्य नहीं है। 

अन्ना ने यहां संवाददाताओं से कहा, “जब मैं रामलीला मैदान में अनशन पर था, तब प्रधानमंत्री ने कुछ शर्तो पर अनशन समाप्त करने की मुझसे अपील की थी, जिसमें सिटिजन चार्टर को लोकपाल के दायरे में रखे जाने की शर्त भी शामिल थी। लेकिन अब सरकार ने एक नया विधेयक पारित किया है, जो सदन की भावना के खिलाफ है।”

अन्ना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे पर उनके सख्त रुख के लिए बधाई दी। अन्ना ने कहा, “मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि प्रभावी लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर भी वह इसी तरह का रुख अपनाएं।”

ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में न्यायिक मानक एवं जवाबदेही विधेयक, शिकायत निवारण विधेयक और पर्दाफाश करने वालों से सम्बंधित विधेयक को मंजूरी दे दी गई।

शिकायत निवारक विधेयक-2011, प्रशासन में निचले स्तर पर भ्रष्टाचार रोकने, समयबद्ध सार्वजनिक सेवा के मानक तय करने और पंचायतों से लेकर सरकारी विभागों से सम्बंधित शिकायतों का निवारण करने के लिए है।

इस बीच अन्ना ने चेतावनी दी है कि यदि उनके मन का लोकपाल विधेयक संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पारित नहीं हुआ तो वह 27 दिसम्बर से रामलीला मैदान में एक और आंदोलन का शंखनाद करेंगे।

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