शिमला ।। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में भूमि हड़पने के एक मामले में कांग्रेस सचिव आशा कुमारी पर लगे धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप रद्द नहीं हो सकते।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की खण्डपीठ ने शुक्रवार को कहा “हमारी राय में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आरोप तय करने के आदेश को पलट कर पूरी तरह गुमराह किया है।”

खण्डपीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला कानूनी रूप से दोषपूर्ण है और इससे न्याय की हत्या हुई है।

जनवरी 2005 में चम्बा प्रखण्ड के विशेष न्यायाधीश पी.डी. गोयल ने हिमाचल प्रदेश की पूर्व मंत्री आशा कुमारी और अन्य पर 1998 के एक भूमि घोटाले के मामले में पांच धाराओं के तहत आरोप तय किये थे।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, “हम चार जनवरी, 2005 को चम्बा के विशेष न्यायाधीश द्वारा तय किए गए आरोप को मंजूरी देते हैं और उन्हें निर्देश देते हैं कि कानून के अनुरूप मामले की सुनवाई करें।”

कुमारी और उनके पति बृजेंदर सिंह को चम्बा में राजस्व अधिकारियों के साथ मिलकर सरकारी दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर 60 बीघा से अधिक सरकारी वन भूमि हड़पने के लिए आरोपित किया गया था।

चम्बा की निचली अदालत ने इस दम्पति पर राज्य सतर्कता विभाग द्वारा 15 दिसम्बर, 2001 को दर्ज की गई एक शिकायत के आधार पर आरोप तय किया था।

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