नई दिल्ली ।। केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि वह लोकपाल विधेयक पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही उसने संसद के शीतकालीन सत्र के लिए अपने विधायी एजेंडे को प्रस्तुत किया जिसमें भ्रष्टाचार निरोधी विधेयक और खाद्य सुरक्षा विधेयक प्रमुख रूप से शामिल हैं।

लोकपाल विधेयक के अलावा सरकार जिन अन्य भ्रष्टाचार निरोधी विधेयकों को शीतकालीन सत्र के दौरान विचारार्थ और पारित कराने के लिए पेश करने वाली है उनमें रहस्योद्घाटक संरक्षण विधेयक और न्यायिक मानक एवं उत्तरदायित्व विधेयक शामिल हैं।

संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने पत्रकारों से कहा कि सत्र 22 नवम्बर से शुरू हो रहा है और इसकी 21 बैठकें होंगी।

उन्होंने कहा, “सरकार लोकपाल विधेयक पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार भ्रष्टाचार को जड़ से हटाने के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन यह सिर्फ एक कानून से नहीं होगा।”

उन्होंने आशा व्यक्त की कि संसद की स्थायी समिति विधेयक का परीक्षण कर एक दिसम्बर तक अपनी रिपोर्ट दे देगी।

बंसल ने कहा कि 31 विधेयकों पर विचार करने के अलावा 23 विधेयकों को पहली बार सूचीबद्ध किया जाएगा।

सूचीबद्ध किए जाने वाले विधेयकों में खाद्य सुरक्षा विधेयक, भारतीय जैवप्रौद्योगिकी नियामक प्राधिकरण विधेयक एवं उपभोक्ता संरक्षण संशोधन विधेयक प्रमुख हैं।

संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि सरकार नागरिक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक को अंतिम रूप दे रही है और इसे भी शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किए जाने की सम्भावना है। इस विधेयक का उद्देश्य प्रशासन के स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार को कम करना एवं नागरिकों को निश्चित समय पर सेवा उपलब्ध कराना है।

बंसल ने कहा कि उन्होंने सभी दलों के मुख्य सचेतकों से उन मुद्दों पर चर्चा की है जिसे वह सत्र के दौरान उठाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, “राजनीति दल महंगाई, ऊर्जा सुरक्षा, राज्यों के विभाजन, सिक्किम में भूकम्प, अफगानिस्तान की स्थिति, किसानों और काले धन जैसे मुद्दों पर चर्चा चाहते हैं। सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है।”

इस सत्र में महिला आरक्षण विधेयक, बीज विधेयक, कीटनाशक प्रबंधन विधेयक और प्रसार भारती संशोधन विधेयक पर भी विचार होने की सम्भावना है।

बंसल ने संसद को सुचारु रूप से चलाने के लिए विपक्षी दलों से सहयोग की प्रार्थना की और आशा व्यक्त किया कि प्रति दिन दो विधेयक पारित हो जाएंगे।

भूमि अधिग्रहण विधेयक के विषय में पूछने पर बंसल ने कहा कि इसे स्थायी समिति के पास भेज दिया गया है।

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