नई दिल्ली ।। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सरकार और संसद के अधीन आने वाले नीतिगत मामलों में अदालतों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एस.एच. कपाडिया की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने कहा, “जहां तक सार्वजनिक सुरक्षा की बात है, उसके लिए संविधान का अनुच्छेद 21 है ।

अन्य मामलों पर अदालतें सम्भवत: फैसला नहीं ले सकतीं। वे नीतिगत मामले भी हो सकते हैं।”

गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह बात कही। याचिका में स्वतंत्र आणविक विनियामक प्राधिकरण के ेगठन का निर्देश देने की मांग की गई है। साथ ही संदिग्ध तकनीकी सुरक्षा वाले परमाणु संयंत्रों के आयात पर सवाल उठाए गए हैं।

मामले को चार हफ्ते तक स्थगित करते हुए अदालत ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय ही रहेगा। सर्वोच्च न्यायालय संसद नहीं है।”

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