नई दिल्ली ।। कर्ज के बोझ से दबी निजी क्षेत्र की विमानन कम्पनी किंगफिशर के मालिक और उद्योगपति विजय माल्या ने कम्पनी को संकट से उबारने के लिए सरकार से मदद की मांग की है।

कम्पनी ने वित्तीय हालत सुधारने के लिए जहां बड़ी संख्या में अपनी उड़ानें स्थगित की हैं वहीं पायलट कम्पनी छोड़कर जाने लगे हैं। इस बीच, सरकार ने कम्पनी को राहत पहुंचाने का मन बनाया है लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कम्पनी को किसी तरह का राहत देने के पक्ष में नहीं है।

किंगफिशर द्वारा अपनी उड़ानों को स्थगित किए जाने पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमानन कम्पनी से इस बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए नोटिस जारी किया था जिसके बाद से कम्पनी के शेयर में गिरावट दर्ज की गई।

ज्ञात हो कि उड्डयन कम्पनी पर तेल कम्पनियों, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और निजी हवाईअड्डा संचालकों का काफी कर्ज है। पांच साल पहले हवाई सेवा शुरू करने वाली इस कम्पनी ने आज तक मुनाफा नहीं कमाया है।

कम्पनी के मुताबिक उसे पिछले वित्तीय वर्ष में 1027 करोड़ रुपये और पिछली तिमाही में 263 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है।

कम्पनी के मालिक माल्या जो इस समय देश के बाहर हैं, ने सरकार से मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है। माल्या ने सरकार से कहा है कि वह बैंकों से ऋण उपलब्ध कराने और तेल विपणन कम्पनियों (ओएमसी) से और समय देने के लिए कहे।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री व्यालार रवि ने पत्रकारों से कहा, “माल्या ने मुझसे मुलाकात की है और विमान कम्पनी की स्थिति के बारे में बताया। उन्हें बैंकों से कर्ज नहीं मिल रहा। इसलिए मैंने इस बारे में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से बात की है।”

रवि के मुताबिक उन्होंने तीनों तेल कम्पनियों को नियंत्रित करने वाले केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी से भी बात की है।

उन्होंने कहा, “किंगफिशर बुरी स्थिति में है। सरकार के रूप में हम नहीं चाहते कि कम्पनी बंद हो जाए। हम इसे उड़ान भरते देखना चाहते हैं।”

वहीं, मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किंगफिशर को किसी तरह की वित्तीय राहत देने के खिलाफ है।

भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा, “वित्त से जुड़ा व्यक्ति होने के नाते मैं एक निजी क्षेत्र की कम्पनी को इस तरह की रियायत देने का समर्थन नहीं कर सकता।”

उन्होंने कहा, “यदि किंगफिशर इस स्थिति में नहीं है कि वह अपनी सेवाओं को संचालित कर सके तो उसे अपना रास्ता तलाशना चाहिए। चाहे उसे कम्पनी बंद, विलय अथवा कुछ और करना पड़े। इससे निकलने की कई सम्भावनाएं हैं लेकिन राहत देने की बात नहीं हो सकती।”

वहीं, कम्पनी की ओर से कहा गया है कि उसने आर्थिक पैकेज की मांग नहीं की है बल्कि उसने ऋणदाताओं से उधार की सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया है।

कम्पनी ने एक बयान में कहा, “किंगफिशर ने सरकार से आर्थिक पैकेज देने का अनुरोध नहीं किया है। हमने संचालन लागत में बढ़ोतरी के चलते बैंकों से अपनी उधार सीमा बढ़ाने के लिए कहा है।”

किंगफिशर जो 6000 करोड़ रुपये के कर्ज में है और उसने घाटे को कम करने के लिए कम लागत की उड़ानों को बंद और अपने कर्ज के एक हिस्से का पुनर्गठन किया है।

वहीं, कम्पनी की बुरी हालत का असर उसके शेयर पर भी पड़ा। बाम्बे स्टाक एक्सचेंज में शुरुआती कारोबार के समय कम्पनी के शेयर 19 प्रतिशत से अधिक गिरकर 17.55 रुपये पर पहुंच गए लेकिन दिन की समाप्ति तक शेयर में कुछ सुधार हुआ और वह 9.45 प्रतिशत की गिरावट के साथ 19.65 रुपये पर बंद हुआ।

इसके अलावा करीब 100 पायलटों ने हाल ही में कम्पनी छोड़ दी है जबकि कम्पनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा है कि उड्डयन कारोबार में पायलटों का काम छोड़कर जाना सामान्य बात है।

बयान में कहा गया, “पायलटों की कमी की वजह से किंगफिशर की कोई भी उड़ान स्थगित नहीं की गई है। कम्पनी से 100 पायलटों का जाना एक रात में नहीं हुआ है।” कम्पनी ने कहा है कि हवाई सेवा जारी रखने के लिए उसके पास पर्याप्त पायलट हैं।

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