नई दिल्ली ।। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को वर्ष 2008 में विश्वास प्रस्ताव के दौरान वोट के लिए नोट मामले में

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

ज्ञात हो कि 22 जुलाई 2008 को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तीन सांसदों ने विश्वास प्रस्ताव से ठीक पहले लोकसभा में नोटों की गड्डियां लहराई थीं। सदस्यों ने आरोप लगाया था कि उन्हें यह पैसा मनमोहन सिंह सरकार के पक्ष में मतदान करने के लिए दिया गया।

याचिका खारिज करते हुए न्यायाधीश अजित भरिहोक ने कहा, “पेश याचिका को देखने से मालूम पड़ता है कि इसे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के इरादे से दाखिल किया गया है। इस प्रकार, मेरे विचार से याचिका कानून की प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ करने के सिवाय कुछ और नहीं है।”

न्यायालय ने याचिकाकर्ता संतोष कुमार सुमन पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया और निर्देश दिया कि वह उच्च न्यायालय के महापंजीयक के पास जुर्माने की राशि जमा करे। इसके बाद यह राशि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष को अग्रसारित की जाएगी।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि चूंकि सांसदों को पैसे कथित रूप से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को बचाने के लिए दिए गए थे और पैसे की पेशकश में प्रधानमंत्री की मिलीभगत जाहिर होती है इसलिए उनके खिलाफ मामला दायर होना चाहिए।

याचिका खारिज होने के बाद सुमन ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराने के लिए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील को पत्र लिखा है।

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