पटना ।। पटना में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए प्रसिद्घ संस्थान सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार कतर की राजधानी दोहा में शिक्षा पर आयोजित सम्मेलन ‘वर्ल्ड इनोवेशन समिट फॉर एजुकेशन’ में व्याख्यान देंगे।

एक से तीन नवम्बर तक होने वाले इस सम्मेलन में 120 देशों के 140 वक्ता और 1200 प्रतिभागी शामिल होंगे। इसमें कई देशों के शिक्षा मंत्री, प्रशासक, वैज्ञानिक तथा नीति निर्माता शामिल हैं। शिक्षा के इस महासम्मेलन में ‘कैसे प्रयोगधर्मी शिक्षा समाज को बदल रही है और शिक्षा में क्या बदलाव होना चाहिये, जिससे हमारा समाज बेहतर बन सके’ पर चर्चा होगी।

आनंद ने आईएएनएस को बताया कि वह शिक्षा को विकसित करने के लिए नये तरीके पर अपने विचार रखेंगे। उन्होंने बताया कि इस सत्र में ‘रशियन यूथ इंजीनियरिंग सोसाइटी’ के अध्यक्ष डॉ़ एलेक्सजेंडर कारपोव और पोलैंड के जीव विज्ञान के मशहूर शिक्षक लोरेक गर्जेगरेज भी व्याख्यान देंगे। गौरतलब है कि कारपोव और लोरेक ने शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान बनाये हैं और दोनों ने कई पुरस्कार भी जीते हैं।

इस आमंत्रण से खुश आनंद कहते हैं, “मैंने जो कुछ शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग किये हैं उसके बारे में बताने में मुझे खुशी होगी। मैं प्रयास करूंगा कि भविष्य में ऐसा कुछ करता रहूं, जिससे लोगों को कुछ प्रेरणा मिलती रहे। “

उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व आनंद को अमेरिका में ‘अमेरिका मैथेमेटिकल सोसाइटी’ द्वारा आयोजित सम्मेलन में दो बार व्याख्यान देने का मौका मिला है। इसके अलावा आनंद टाइटेनिक फिल्म से सम्बद्ध जैम्स कैमरन तथा इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के साथ मंच पर व्याख्यान दे चुके हैं। देश की लगभग सभी प्रमुख संस्थाओं में उन्होंने अपना व्याख्यान दिया है।

वर्ष 2010 में आनंद को ‘टाइम पत्रिका’ ने ‘द बेस्ट ऑफ एशिया’ में शामिल किया था। ‘न्यूजवीक पत्रिका’ ने सुपर-30 को विश्व के चार प्रयोगधर्मी विद्यालयों में शामिल किया था।

जापान के चर्चित प्रकाशक भूषण द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘इनदो नो शोगकी’ में आनंद के संघर्षपूर्ण जीवन और उनकी उपलब्धियों पर एक पाठ शामिल किया गया था। यह पुस्तक जापान के मशहूर चैनल एनएचके के विशेष रिपोर्टरों के एक दल द्वारा लिखी गई है।

उल्लेखनीय है कि जापान के प्रसिद्घ टीवी चैनल कंसई टेलीकास्टिंग कारपोरेशन की निदेशक युता अम्मा कुछ दिन पूर्व आनंद पर एक वृत्तिचित्र बनाने के लिए पटना आई हुई थीं। यही नहीं जापान के कई चैनलों और समाचार पत्रों में आनंद की जीवनी आ चुकी है।

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