मणिपुर ।। मणिपुर में आंदोलनकारियों और सरकार के बीच सोमवार देर रात समझौता हो जाने के बाद आखिरकार पिछले 92 दिनों से जारी आर्थिक नाकेबंदी मंगलवार सुबह समाप्त हो गई।

आंदोलनकारी नेताओं के मुताबिक सरकार ने कुकी बहुल नया जिला बनाने की मांग पर सहमति जताते हुए लिखित आश्वासन दिया है।

आर्थिक नाकेबंदी में शामिल नेताओं ने बताया कि सदर हिल्स डिस्ट्रिक्ट डिमांड कमेटी (एसएचडीडीसी) और राज्य सरकार के बीच राजधानी इम्फाल में आधी रात को समझौता हुआ। इस दौरान आंदोलनारी समिति के नेता और सरकार के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे।

एसएचडीसीसी ने नया जिला बनाने की मांग को लेकर एक अगस्त से ही दो राष्ट्रीय राजमार्गो इम्फाल-दीमापुर गुवाहाटी (एनएच 39) और इम्फाल जिरीबम-सिल्चर (एनएच 53.) को जाम कर रखा था।

एसएचडीसीसी के एक नेता ने कहा, “हमने नाकेबंदी हटाने का फैसला किया है क्योंकि राज्य सरकार ने हमें नया जिला बनाने का लिखित आश्वसन दिया है।”

सरकार की ओर से राज्य के मुख्य सचिव डी.एस.पुनिया ने बातचीत की अगुवाई की।

नागा समुदाय के लोग नया सदार जिला बनाने का विरोध कर रहे हैं। नागा समुदाय के लोगों ने एक अगस्त से ही कुकी जनजातीय समुदाय की मांग के विरोध में दोनों राजमार्गो पर जाम लगा रखा है।

संयुक्त नागा परिषद (यूएनसी) की ओर से दोनों राजमार्गो को जाम किया गया है।

इस बीच कई नागरिक संगठनों ने भी गुरुवार को यूएनसी से आर्थिक नाकेबंदी को वापस लेने का अनुरोध किया था, जिससे लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

राज्य में पिछले 92 दिनों से जारी आर्थिक नाकेबंदी की वजह से आश्वयक वस्तुओं, पेट्रोलियम उत्पादों और रसोई गैस सिलेंडरों की कमी हो गई थी। कालाबाजारी का आलम यह था कि एक सिलेंडर की कीमत 2,000 रुपये और पेट्रोल की कीमत 200 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गयी थी।

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया, “हम यूएनसी के नेताओं से नाकेबंदी हटाने के लिए बातचीत कर रहे हैं ताकि ट्रकों से आवश्यक वस्तुओं को मणिपुर तक लाया जा सके।”

उल्लेखनीय है कि नागा समुदाय के लोग नया सदार जिला बनाने का विरोध कर रहे हैं। इस समुदाय के लोगों ने एक अगस्त से ही कुकी जनजातीय समुदाय की मांग के विरोध में दोनों राजमार्गो पर यातायात रोक रखा है।

संयुक्त नागा परिषद (यूएनसी) की ओर से दोनों राजमार्गो पर यातायात अवरूद्ध कर दिया गया है। सेनापति जिले के उपायुक्त प्रदीप कुमार झा ने आईएएनएस से कहा, “एसएचडीडीसी ने हालांकि नाकेबंदी खत्म करने का फैसला किया है लेकिन यूएनसी की नाकेबंदी अभी भी जारी है। मैं उम्मीद करता हूं कि लोगों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए जल्दी ही कोई फैसला लिया जाएगा।”

इस बीच कई नागरिक संगठनों ने भी गुरुवार को यूएनसी से आर्थिक नाकेबंदी को वापस लेने का अनुरोध किया था, जिससे लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।

राज्य में पिछले 92 दिनों से जारी आर्थिक नाकेबंदी की वजह से आश्वयक वस्तुओं, पेट्रोलियम उत्पादों और रसोई गैस सिलेंडरों की कमी हो गई थी। कालाबाजारी का आलम यह था कि एक सिलेंडर की कीमत 2,000 रुपये और पेट्रोल की कीमत 200 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गयी थी।

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया, “हम यूएनसी के नेताओं से नाकेबंदी हटाने के लिए बातचीत कर रहे हैं ताकि ट्रकों से आवश्यक वस्तुओं को मणिपुर तक लाया जा सके।”

केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदम्बरम ने सोमवार को आंदोलनकारी समूहों से आर्थिक नाकेबंदी समाप्त करने का अनुरोध किया था। नई दिल्ली में चिदम्बरम ने संवाददाताओं से सोमवार को कहा, “मैं कुकी और अन्य जनजातीय समूहों से आंदोलन समाप्त करने की अपील करता हूं।”

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