हैदराबाद ।। ईद-उल-जुहा यानी बकरीद के मौके पर आंध्र प्रदेश की मस्जिदों, ईदगाहों में विशेष नमाज और खुले मैदानों में पशुओं की कुर्बानी का सिलसिला जारी है। सोमवार को मुस्लिम धर्मावलम्बी बकरीद का पर्व मना रहे हैं।

मुस्लिम धर्म गुरुओं या इमामों ने पैगम्बर इब्राहिम की महान कुर्बानी को याद किया और सभी मुसलमानों से उनकी व कुरान की शिक्षाओं पर चलने के लिए कहा।

नमाज के बाद मुसलमानों ने बकरों व अन्य पशुओं की कुर्बानी दी। सदियों पहले पैगम्बर इब्राहिम द्वारा दी गई कुर्बानी की याद में यह पर्व मनाया जाता है।

इमामों ने धर्मोपदेश देते हुए बताया कि कैसे अल्लाह ने पैगम्बर इब्राहिम की एक कठिन परीक्षा ली थी और वह तुरंत अपने इकलौते बेटे पैगम्बर इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे। अल्लाह ने पैगम्बर इस्माइल के स्थान पर बकरे के रूप में उनकी कुर्बानी स्वीकार की थी।

इस मौके पर कुर्बान किए जाने वाले पशुओं का मांस पड़ोसियों, रिश्तेदारों और गरीबों के बीच बांटा जाता है।

ईद-उल-जुहा को बकरीद या ईद-ए-कुर्बान भी कहा जाता है। यह मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है। इस मौके पर वे रिश्तेदारों और दोस्तों को मुबारकबाद देते हैं।

नमाज के लिए हैदराबाद की ऐतिहासिक मीर आलम ईदगाह में सबसे ज्यादा 200,000 लोग इकट्ठे हुए। इसके बाद ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में सबसे ज्यादा नमाजी इकट्ठे हुए।

राज्य के अन्य शहरों में भी ईद का त्योहार मनाया गया। राज्य की 8.4 करोड़ की आबादी में करीब 10 प्रतिशत मुसलमान हैं।

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